सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक 14 साल का हो गया है. 4 फरवरी 2004 से लगातार यह टेक दिग्गज अपने यूजर्स को कुछ नया मुहैया कराने के लिए काम करता रहता है. यही वजह है कि इसने अपनी मजबूत यूजरबेस तैयार कर ली है.
नया करने के इसी क्रम में अब फेसबुक ने एक नया कदम उठाया है. अंगरेजी अखबार डेलीमेल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फेसबुक ने एक खास तकनीक के लिए पेटेंट एप्लिकेशन फाइल किया है, जो खुद ही यूजर्स के सामाजिक-आर्थिक स्टेटस की पहचान कर लेगा.
रिपोर्ट यह बताती है कि इस तकनीक के जरिये फेसबुक अपनी यूजरबेस को तीन अलग-अलग वर्गों में बांट भी सकता है. ये वर्ग हैं – कामकाजी वर्ग, मध्य वर्ग और उच्च वर्ग.
फेसबुक द्वारा फाइल किये गये पेटेंट के मुताबिक, कंपनी एक ऐसा सिस्टम तैयार करना चाहती है जो यूजर्स के निजी आंकड़ों को इकट्ठा कर उनका विश्लेषण कर उसकी सामाजिक-आर्थिक हैसियत का अंदाजा लगा सकती है. इन निजी आंकड़ों में शिक्षा, मकान-स्वामित्व और इंटरनेट का इस्तेमाल भी शामिल है.
इस पेटेंट को शुक्रवार को सार्वजनिक किया गया. इसमें एक ऐसे एल्गोरिदम का सुझाव दिया गया है, जो फेसबुक की क्षमताओं में सुधार कर सकता है, जिससे वह यूजर्स को अधिक प्रासंगिक विज्ञापन दिखा सकेगा.
पेटेंट में कहा गया है, अपने यूजर्स के सामाजिक-आर्थिक हैसियत का अंदाजा लगाने से उसे (फेसबुक) थर्ड पार्टी के विज्ञापन टारगेट यूजर्स तक पहुंचाने में मदद मिलेगी.
20 करोड़ खाते फर्जी
इसके अलावा, फेसबुक ने पिछले दिनों अपने यूजरबेस में फर्जी खातों के बारे में जानकारी दी है. कंपनी ने बताया है कि उसके लगभग 20 करोड़ खाते फर्जी या फिर एक ही व्यक्ति के दोहरे खाते हो सकते हैं.
फेसबुक ने अपनी ताजा वार्षिक रिपोर्ट में कहा, 2017 की चौथी तिमाही में हमारा अनुमान है कि नकली या डुप्लीकेट अकाउंट की हिस्सेदारी हमारे मंथली एक्टिव यूजर्स (एमएयू) का लगभग 10 प्रतिशत है.
यही नहीं, भारत उन देशों में है, जहां इस तरह के खातों की संख्या बहुत अधिक है. रिपोर्ट में कहा गया, हमारा मानना है कि अधिक विकसित बाजारों की तुलना में भारत, इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे विकासशील बाजारों में इस तरह के नकली अथवा प्रतिरूप खातों की संख्या अधिक है.
बताते चलें कि 31 दिसंबर 2017 तक फेसबुक पर मंथली एक्टिव यूजर्स की संख्या 2.13 अरब थी, जो कि 31 दिसंबर 2016 से 14 प्रतिशत अधिक है.
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