अबु धाबी/नयी दिल्ली : ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) और उसके भागीदारों ने अबुधाबी के एक विशाल अपतटीय तेलक्षेत्र में 60 करोड़ डॉलर में 10 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है. यह पहला मौका है कि जब किसी भारतीय कंपनी ने पेट्रोलियम संसाधन में धनी संयुक्त अरब अमीरात में कदम रखा है.
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भारत की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लोअर जाकुम कंसेशन तेल क्षेत्र में हिस्सेदारी के लिए अनुबंध पर शनिवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अबु धाबी के वलीहद शहजादे शेख मोहम्मद बिन जाएद अल-नह्यान की उपस्थिति में हस्ताक्षर किये गये. मोदी ने दुबई में भारतीय समुदाय के लोगों को आज संबोधित करते हुए इस सौदे का जिक्र किया.
उन्होंने कहा कि यह हमारे बीच तालमेल के सुखद आयाम में पहुंचने की शुरुआत है. ओवीएल ने एक बयान में कहा कि इस तेल क्षेत्र का मौजूदा उत्पादन करीब चार लाख बैरल प्रतिदिन यानी 200 लाख टन प्रतिवर्ष है और भारतीय कंपनियों की इसमें हिस्सेदारी करीब 20 लाख टन प्रतिवर्ष होगी. भारतीय दूतावास द्वारा यहां जारी वक्तव्य में कहा गया है कि यह संयुक्त अरब अमीरात के तेल क्षेत्र में भारत का पहला निवेश है. इससे दोनों देशों के बीच पारंपरिक खरीदार-विक्रेता संबंध अब दीर्घकालिक निवेशक के रिश्ते में बदल रहे हैं.
इस तेल क्षेत्र के वर्ष 2025 तक 4.5 लाख बैरल प्रतिदिन की क्षमता तक पहुंच जाने का अनुमान है. इस सौदे की अवधि 40 साल की होगी और यह नौ मार्च 2018 से प्रभावी होगी. इस करार पर ओएनजीसी के ग्रुप चेयरमैन शशि शंकर और एडीएनओसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुल्तान अहमद अल जाबेर ने हस्ताक्षर किया.
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