PNB महाघाेटाले पर एसोचैम का बड़ा बयान, कहा-बैंकों में हिस्सेदारी 50 फीसदी से कम कर दे सरकार
नयी दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में लेन-देन में 11,400 करोड़ रुपये धोखाधड़ी का ताजा मामला सामने आने के बाद देश के एक प्रमुख उद्योग मंडल एसोचैम ने बड़ा बयान जारी करते हुए कहा है कि सरकार को बैंकों में अपनी हिस्सेदारी 50 फीसदी से कम कर देनी चाहिए, ताकि सभी […]
नयी दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में लेन-देन में 11,400 करोड़ रुपये धोखाधड़ी का ताजा मामला सामने आने के बाद देश के एक प्रमुख उद्योग मंडल एसोचैम ने बड़ा बयान जारी करते हुए कहा है कि सरकार को बैंकों में अपनी हिस्सेदारी 50 फीसदी से कम कर देनी चाहिए, ताकि सभी सरकारी बैंक निजी क्षेत्र के बैंकों की तरह जमाकर्ताओं के हितों को सुरक्षित रखते हुए अपने शेयरधारकों के प्रति जवाबदेहीपूर्ण काम कर सकें. एसोचैम ने यहां जारी बयान में कहा कि सरकारी बैंक एक के बाद दूसरे संकट में फंसते जा रहे हैं. ऐसे में सरकार के लिए करदाताओं के पैसे से इन बैंकों को संकट से उबारते रहने की एक सीमा है. सरकार खुद इन बैंकों की सबसे बड़ी शेयरधारक है.
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उद्योग मंडल ने कहा है कि इन बैंकों में शीर्ष पदों पर सरकारी नौकरी के बाद सेवा विस्तार के तौर पर वरिष्ठ अधिकारियों को बिठाया जाता है. ऐसे में वरिष्ठ प्रबंधन का काफी समय सरकारी शीर्ष पदों पर बैठे नौकरशाहों के निर्देशों पर अमल करने में ही बीत जाता है, फिर चाहे ये मुद्दे सामान्य ही क्यों न हों.
एसोचैम ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में बैंक प्रबंधन का ध्यान उसके मूल बैंकिंग कार्यों की तरफ नहीं जा पाता है.‘समस्या तब और बढ़ गयी है, जब इन बैंकों में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा है. यह तकनीक बैंकों के लिए वरदान या फिर विनाश दोनों ही हो सकती है. यह इस बात पर निर्भर करती है कि बैंक इस तकनीक का कितने कुशलतापूर्वक इस्तेमाल करते हैं.
एसोचैम ने कहा है कि जैसे ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 50 फीसदी से नीचे आयेगी, वैसे ही बैंकों के शीर्ष प्रबंधन की जवाबदेही और जिम्मेदारी दोनों ही बढ़ जायेगी. इसके साथ ही उनकी स्वायत्ता भी बढ़ेगी. उसके बाद बैंकों का निदेशक मंडल सही मायनों में नीतिगत निर्णय लेगा और बैंक के सीईओ निर्देश के लिए नौकरशाहों की तरफ देखने के बजाय पूरे अधिकारों के साथ बैंक को चलायेंगे.
एसोचैम के महासिचव डीएस रावत ने कहा कि भारतीय उद्योग जगत पर भी इसकी जिम्मेदारी है. हर सिक्के के दो पहलू होते हैं. एक पहलू बैंक प्रबंधन का प्रतिनिधित्व करता है, तो दूसरा पहलू कर्ज लेने वाली कंपनियों, खासतौर से बड़ी कंपनियों का है. कोई भी खराब घटना से दोनों पक्षों को धब्बा लगता है. समय है कि उद्योगों को भी अपने भीतर झांकना चाहिण्. एक तरफ जब हम बैंकों के लिये अधिक स्वायत्ता की बात कर रहे हैं, वहीं हम उद्योगों से भी साफ-सुथरा बैंकिंग और व्यावसायिक व्यवहार चाहते हैं.
एसोचैम ने निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र सहित समूचे वित्तीय क्षेत्र में साफ-सुथरा कारोबार करने के लिए रिजर्व बैंक का आह्वान किया है कि वह आगे आकर इस मामले में अग्रणी भूमिका निभाये. उद्योग मंडल ने कहा है कि वह भी सभी पक्षों तक पहुंचने में सक्रिय भूमिका निभायेगा और सरकार के साथ काम करने में उसने प्रसन्नता जाहिर की है.
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