पीएनबी ने नहीं मानी रघुराम राजन का आदेश, अगस्त, 2016 में ही आरबीआर्इ ने बैंकों को तीन बार किया था आगाह
नयी दिल्ली : पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) करीब ढार्इ साल पहले रघुराम राजन के कार्यकाल में रिजर्व बैंक की आेर से जारी आदेश का पालन कर लिया होता, तो आज उसे नीरव मोदी आैर मेहुल चोकसी के 11,400 करोड़ रुपये के घोटाले का सामना नहीं करना पड़ता है. पीएनबी में 11,400 करोड़ रुपये के घोटाला […]
नयी दिल्ली : पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) करीब ढार्इ साल पहले रघुराम राजन के कार्यकाल में रिजर्व बैंक की आेर से जारी आदेश का पालन कर लिया होता, तो आज उसे नीरव मोदी आैर मेहुल चोकसी के 11,400 करोड़ रुपये के घोटाले का सामना नहीं करना पड़ता है. पीएनबी में 11,400 करोड़ रुपये के घोटाला मामले की विभिन्न एजेंसियों द्वारा जांच के बीच रिजर्व बैंक ने मंगलवार को कहा कि उसने अगस्त, 2016 के बाद से बैंकों को स्विफ्ट व्यवस्था के संभावित दुरूपयोग को लेकर तीन बार आगाह किया था.
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इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने वाईएच मालेगाम की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित की है, जो बैंकों में गैर-निष्पादित आस्तियों और उनके संबंध में किये गये पूंजी प्रावधानों के बीच भारी अंतर के कारणों की पड़ताल करेगी. समिति इसे रोकने के लिए उपाय सुझायेगी. समिति बैंकों में धोखाधड़ी की घटनाएं बढ़ने के कारणों पर विचार करेगी तथा इनका दोहराव रोकने के लिए विभिन्न उपायों की सिफारिश करेगी.
केंद्रीय बैंक ने एक बयान में यह जानकारी दी है. इसके अनुसार, केंद्रीय बैंक ने पीएनबी मामले के मद्देनजर बैंकों से कहा है कि अपने स्विफ्ट परिचालन को मजबूत बनाने के लिए सुझाए गए उपायों का कार्यान्वयन करें. इसके अनुसार, वह सोसायटी फोर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फिनांशल टेलीकम्युनिकेशन (स्विफ्ट) के संभावित दुरूपयोग के बारे में बैंकों को बार बार आगाह करता रहा है. अगस्त 2016 के बाद से उसने कम से कम तीन बार इस बारे में बैंकों को चेताया.
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने अगस्त, 2016 में जिस समय बैंकों के लिए आदेश जारी किये थे, उस समय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन थे. अगर रघुराम राजन के आदेश का पीएनबी ने पालन किया होता, तो इतना बड़ा घोटाला नहीं होता. इन दिशा निर्देशों में रिज़र्व बैंक लिखता है कि हाल में साइबर हमलों की बढ़ती संख्या देखते हुए बैंक अपने साइबर कंट्रोल सिस्टम को मज़बूत करें. एक साइबर सिक्योरिटी पॉलिसी हो, जिसमें खतरों के बदलते स्वरूप से निपटने की व्यवस्था की जाये. मौजूदा व्यवस्था में खामियों का पता किया जाये और एक तय समय में उनसे निपटने के उपाय किये जायें.
रिजर्व बैंक ने बैंकों को निर्देश जारी कर कहा था कि नॉस्ट्रो एकाउंट में होने वाले लेन-देन खासतौर पर रियल टाइम बेसिस पर निगाह रखी जाये. नॉस्ट्रओ एकाउंट वह बैंक एकाउंट होता है, जो एक देश का बैंक किसी दूसरे देश के बैंक में खोलता है. आमतौर पर ये उसी देश की मुद्रा में होता है.
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