कराकास / नयी दिल्ली : क्रिप्टोकरेंसी को लेकर पूरी दुनिया में एक नयी बहस छिड़ गयी है. इसकी सुरक्षा को लेकर सवाल हैं तो आर्थिक स्तर पर भी अर्थशास्त्री की सफलता और विफलता का आकलन कर रहे हैं. कई देशों में क्रिप्टोकरेंसी पर काम शुरू हो गया है. कहीं प्रतिबंध लगा दिया है तो किसी देश में सरकार ने सुरक्षा की गारंटी से हाथ पीछे खींच लिये.
वेनेजुएला ने गहराते आर्थिक संकट से बाहर आने की कोशिशों के बीच गैरपारंपरिक कदम उठाते हुए तेल आधारित क्रिप्टोकरंसी ‘पेट्रो’ की शुरुआत की है. यह सरकारी मान्यता प्राप्त विश्व की पहली क्रिप्टोकरंसी है। वेनेजुएला की वामपंथी सरकार ने शुरुआती बिक्री के लिए पेट्रो की 3.84 करोड़ इकाइयां पेश की हैं.
इसकी बिक्री 19 मार्च तक चलेगी. प्रधानमंत्री निकोलस मदुरो के अनुसार, बिक्री के शुरुआती 20 घंटे में पेट्रो को 73.5 करोड़ डॉलर की पेशकश मिली हैं. उन्होंने कहा, ‘‘पेट्रो हमारी स्वतंत्रता एवं आर्थिक स्वायत्तता को मजबूत करता है. यह हमें उन विदेशी ताकतों के लालच से बचने में मदद करेगा जो हमारा तेल बाजार जब्त कर हमें घुटन में रखने की कोशिश कर रही हैं।” उल्लेखनीय है कि वेनेजुएला के पास विश्व का सबसे विशाल तेल भंडार है. हालांकि देश भीषण आर्थिक एवं राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा है.
भारत में क्या है स्थिति
क्या कहती है सेबी
बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रमुख अजय त्यागी ने कहा, ‘‘जिस दिन बजट पेश किया गया, उसके अगले ही दिन हमने आर्थिक मामलों के विभाग से जल्द एक बैठक बुलाने के लिए कहा, हम पहले एक नीति की रूपरेखा तैयार करना चाहते हैं.
हमने वास्तव में निर्णय किया है यह तय हो जाए कि कौन-सा नियामक क्या काम करेगा. हम चाहते हैं कि इस संबंध में एक समिति जल्द एक विनियम खाका तैयार करे और हम इसमें पूरा सहयोग करेंगे. त्यागी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बनायी गई समिति के भी सदस्य रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस संबंध में पहले एक नीति बननी चाहिए, उसके बाद ही सेबी की भूमिका तय की जा सकेगी.
खतरा क्या है
यह पूरी तरह इस विश्वास पर कायम है कि क्रिप्टोकरेंसी की एक कीमत होती है. पारंपरिक मुद्राओं के उलट, यह किसी देश या बैंक से नहीं जुड़ा होता है, न ही इसका कोई भंडार (रिजर्व) होता है. यह पूरी तरह आपसी प्रतिष्ठा पर आधारित है और इसका व्यापार वेबसाइट पर होता है. यह डिजिटल टोकन पर चलनेवाली मुद्रा है,
जिनका वास्तव में कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं होता है. किसी केंद्रीय व्यवस्थापक पर विश्वास करने के बजाय यह सबसे अधिक भरोसे पर आधारित होता है. यह एक ऐसे ट्रांजेक्शन-लेजर पर काम करता है, जिसको मुद्रा के इस्तेमाल करनेवाले संयुक्त तौर पर इसका नियंत्रण करते हैं. स्पष्ट तौर पर समझिये कि अगर बिट क्वाइन किसी कारण बंद हो गया तो आपके पैसे वापस मिलने की कोई गारंटी नहीं लेगा.
इतिहास क्या है
भारत में क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की खूब चर्चा हुई. कम समय में इसने खूब कारोबार किया . बिटकॉइन की शुरूआथ साल 2008 में हुई थी. इसकी शुरूआत के पीछे मान्यता है कि एक छद्म लेखक के शोध के आधार पर इसकी शुरूआत की गयी है. साल 2012 में इसकी खूब चर्चा होने लगी. दुनिया में कहीं भी इसे कानूनी रूप से मान्यता नहीं दी गयी है. इसकी मदद से दुनिया में कहीं भी बगैर बिचौलिये के पैसे पहुंचाया जा सकता है.
भारत में इसे बढ़ावा देने के लिए साल 2014- 15 में बेंगलुरु में एक बड़ा आयोजन किया गया. साइबरस्पेश से जुड़े लोगों के बीच पहले यह लोकप्रिय हुआ. इसके बाद धीरे – धीरे इसका दायरा बढ़ता गया.इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है. देश में एक बड़ा समुदाय बिटकॉइनके प्रति बेहद आशान्वित है. भारत में बिटकॉइनका इस्तेमाल करने वालों की संख्या लगभग 20 लाख है.
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