मुंबई : रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को 30 अप्रैल तक अपनी स्विफ्ट प्रणाली को बैंक के कोर बैंकिंग साॅल्यूशंस (सीबीएस) से जोड़ने को कहा है. बैंकों की शीर्ष संस्था भारतीय बैंक संघ (आईबीए) की चेयरपर्सन उषा अनंतसुब्रमणियन ने कहा कि स्विफ्ट-सीबीएस प्रणाली को जोड़ने का काम तेजी से किया जाना चाहिए. रिजर्व बैंक ने यह कदम देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) की एक शाखा में 11,400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से किये गये लेन-देन का मामला सामने आने के बाद उठाया है.
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हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की कंपनियों द्वारा कथित रूप से दक्षिण मुंबई स्थित पीएनबी की ब्रैडी हाउस स्थित शाखा से धोखाधड़ीपूर्ण तरीके से गारंटी पत्र प्राप्त लेकर दूसरे बैंकों की विदेशी शाखाओं से कर्ज लिया गया. इस तरह जारी गारंटी पत्रों को सार्वजिनक क्षेत्र के बैंक के ऋण खाते में रिकार्ड नहीं किया जाता है, जिससे कि इस गतिविधि को लंबे समय तक पकड़ा नहीं जा सका.
ऊषा अनंतसुब्रमणियन से जब 30 अप्रैल की समयसीमा के बारे में पूछा गया. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ठीक कहा, यह समयसीमा हो सकती है, लेकिन यह बाहरी सीमा है. आज जरूरत इस बात की है कि हर कोई स्विफ्ट और सीबीएस प्रणाली को आपस में जोड़ने का काम जल्द से जल्द करना चाहता है.
बैंकों में होने वाला कोई भी सामान्य लेन-देन सीबीएस साॅफ्टवेयर के जरिये होता है. इस सप्ताह के शुरू में जारी एक विज्ञप्ति में रिजर्व बैंक ने कहा कि उसने स्विफ्ट प्रणाली के संभावित दुरुपयोग को लेकर अगस्त, 2016 के बाद बैंकों को तीन बार सतर्क किया था.
ऊषा अनंतसुब्रमणियन इस समय सार्वजनिक क्षेत्र के इलाहाबाद बैंक की प्रबंध निदेशक और सीईओ हैं. उन्होंने कहा कि उनके बैंक में स्विफ्ट और सीबीएस प्रणाली आपस में नहीं जुड़ी हैं. बैंक ने अपनी सभी शाखाओं को इस संबंध में सतर्कता बरतने का ज्ञापन भेजा है.
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