भारत में टेलीफोन खंभों पर 25 साल पहले ही निवेश करना चाह रहा था विश्वबैंक

वाशिंगटन : दुनिया भर के देशों की अर्थव्यवस्था पर नजर रखने और उन्हें आर्थिक मदद पहुंचाने वाले विश्वबैंक भारत में करीब ढाई दशक पहले ही टेलीफोन के खंभे लगाना चाहता था. इसके लिए इस संस्था में करीब 25 साल पहले इस बात पर गर्मागर्म बहस भी हो चुकी थी कि उसे भारत में टेलीफोन के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 27, 2018 4:05 PM

वाशिंगटन : दुनिया भर के देशों की अर्थव्यवस्था पर नजर रखने और उन्हें आर्थिक मदद पहुंचाने वाले विश्वबैंक भारत में करीब ढाई दशक पहले ही टेलीफोन के खंभे लगाना चाहता था. इसके लिए इस संस्था में करीब 25 साल पहले इस बात पर गर्मागर्म बहस भी हो चुकी थी कि उसे भारत में टेलीफोन के खंभों में निवेश करना चाहिए या नहीं. विश्व बैंक के वर्तमान अध्यक्ष जिम योंग किम ने इसका खुलासा करते हुए कहा कि खुशकिस्मती से हमने भारत में टेलीफोन के खंभे लगाने के काम में निवेश करने मंशा को टाल दिया था.

इसे भी पढ़ें : विश्व बैंक टीम ने देखा योजनाओं का हाल

कॉन्सिल ऑन फॉरेन रिलेशंस द्वारा आर्थिक वृद्धि एवं सुरक्षा के भविष्य पर न्यूयॉर्क में आयोजित एक परिचर्चा में आर्थिक वृद्धि के नये मॉडल की तलाश की चुनौतियों के बारे में किम ने कहा कि एक करीबी दोस्त ने उन्हें बताया कि करीब 25 साल पहले भारत में टेलीफोन खंभों में निवेश करने को लेकर विश्वबैंक में गर्मागर्म बहस हुई थी. उन्होंने कहा कि विश्व बैंक के सामने आर्थिक वृद्धि के नये मॉडल की तलाश करने की चुनौती थी. उन्होंने कहा कि यह विश्व बैंक समूह में आज भी बड़ा सवाल है, जिससे हम जूझ रहे हैं.

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चीन में रोबोटिक्स और स्वचालन संभवत: चरम पर है. उन्होंने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि वे रोबोट से किस तरह के काम करा पा रहे हैं और यह लगातार पहले से बेहतर होता जा रहा है. बुनाई जैसी चीजों के बारे में सोचा जाता था कि रोबोट यह करने में सक्षम नहीं हो पायेंगे, लेकिन अभी वे ऐसा कर पा रहे हैं.

किम ने कहा कि अत: जब आप चारों तरफ देखेंगे और कहेंगे कि अच्छा अलग मॉडल भी मौजूद हैं. यह रोचक होगा? फिर से चीन को देखेंगे, तो सिर्फ कृत्रिम समझ और अत्यधिक स्वचालन आधारित भारी विनिर्माण ही नहीं, बल्कि उनके पास अलीबाबा, टेनसेंट और वीचैट भी मिलेगा, जो बाजार के लिए पूंजी, खरीद तथा आलेखन की भी उपलब्धता का लोकतांत्रीकरण कर रहे हैं. किम ने कहा कि हम अब सोच रहे हैं कि सहारा क्षेत्रीय अफ्रीका में यह एक संभावना हो सकती है. संभवत: पूंजी की उपलब्धता का लोकतांत्रिकरण और बाजार तक बढ़ती पहुंच के जरिये हम छोटे एवं मध्यम उपक्रमों का उभार देख सकते हैं.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version