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EPFO ब्याज दरों में कर रहा कटौती, तो रिटायरमेंट के लिए उस पर क्यों रहे निर्भर…?

नयी दिल्ली : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) जमाओं पर मिलने वाली ब्याज दरों में करीब 0.10 फीसदी की कटौती कर दी. इसमें उसने ईपीएफ जमाओं पर मिलने वाली 8.65 फीसदी की ब्याज दर को घटाकर 8.55 फीसदी कर दिया है, जबकि आज से करीब […]

नयी दिल्ली : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) जमाओं पर मिलने वाली ब्याज दरों में करीब 0.10 फीसदी की कटौती कर दी. इसमें उसने ईपीएफ जमाओं पर मिलने वाली 8.65 फीसदी की ब्याज दर को घटाकर 8.55 फीसदी कर दिया है, जबकि आज से करीब तीन साल पहले वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान यह 8.8 फीसदी थी.

इसे भी पढ़ें : नौकरीपेशा लोगों को र्इपीएफआे ने दिया झटका : पीएफ ब्याज दर में की 0.10 फीसदी की कटौती

सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कामगारों और अधिकारियों के लिए रिटायरमेंट के बाद निश्चित आमदनी के लिए यह एक प्रमुख जरिया था, मगर ईपीएफओ की ब्याज दरों में कटौती से अब लोग दूसरा विकल्प भी तलाश करने में जुट गये हैं. जो लोग रिटायरमेंट के बाद निश्चित आय के लिए विभिन्न स्कीमों में निवेश कर रहे थे, वे अब अपनी निवेश की रणनीति में बदलाव कर रहे हैं.

अगर आप गौर करेंगे, तो पता चलेगा कि सिर्फ ईपीएफ की ब्याज दरों में ही धीरे-धीरे कमी नहीं की गयी है, लोक भविष्य निधि (पीपीएफ), एनएससी, डाकघर बचत योजनाओं की ब्याज दरों में भी पिछले कुछ सालों के दौरान कटौती की गयी है. अभी पीपीएफ पर 7.6 प्रतिशत का ब्याज मिल रहा है. देश में ज्यादातर लोग रिटायरमेंट जैसे लंबी अवधि की वित्तीय मुनाफे के लिए अभी भी निश्चित आय योजनाओं में निवेश करते हैं. हालांकि, इन लंबी अवधि और कर में छूट प्रदान करने वाली योजनाओं से जब शेयरों वाली योजनाओं की तुलना में कम ब्याज मिल रहा है, तब रिटायरमेंट के लिए बचत करने की खातिर कहां पैसा लगाया जाए? यह एक बड़ा सवाल है.

रिटायरमेंट के लिए बचत योजनाओं को छोड़ उठाना होगा जोखिम

वित्तीय मामलों के जानकारों का मानना है कि कि अगर कोई रिटायरमेंट के लिए बचत करना चाहता है, तो उसे इक्विटी में अधिक पैसा लगाने के बारे में सोचना चाहिए. उनका कहना है कि सरकार भी नहीं चाहती कि लोग निश्चित आय योजनाओं आश्रित रहें. इसलिए वह ब्याज दरों में कटौती करके इनका आकर्षण कम कर रही है. यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी. इसलिए जो लोग रिटायरमेंट की खातिर बचत करने की सोच रहे हैं, उन्हें अब इसके लिए कुछ जोखिम उठाने के लिए तैयार रहना होगा. कम अवधि में इक्विटी प्रॉडक्ट्स में जोखिम होता है, लेकिन लंबी अवधि में इनसे महंगाई दर से कहीं ज्यादा रिटर्न मिलने की क्षमता होती है.

इक्विटी में मिलता है अधिक रिटर्न

इक्विटी से ईपीएफ, पीपीएफ, बचत बैंक खाते (3.5-4 पर्सेंट इंट्रेस्ट रेट), फिक्स्ड डिपॉजिट (5-10 साल के एसबीआई टर्म डिपॉजिट पर 6 फीसदी की ब्याज दर) की तुलना में कहीं अधिक रिटर्न मिलता है. वैल्यू रिसर्च मार्केट्स के मुताबिक, लार्ज कैप इक्विटी म्यूचुअल फंड कैटिगरी से पिछले 10 साल में औसत 8.85 फीसदी सीएजीआर और मल्टीकैप फंड कैटिगरी से 10.48 फीसदी सीएजीआर का रिटर्न मिला है.

जल्द ही रिटायर करने वाले को करना चाहिए ये काम..

जिन लोगों के रिटायरमेंट में 10 साल का समय बचा है, उन्होंने 80 फीसदी बचत इक्विटी में करनी चाहिए. विशेषज्ञों के मुताबिक, आप सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिए लार्ज और मल्टीकैप फंड में निवेश कर सकते हैं. यह इक्विटी इन्वेस्टमेंट का सबसे सुरक्षित तरीका है. आपको हर 6 महीने पर अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करनी चाहिए और जरूरत पड़ने पर उसमें बदलाव करना चाहिए. इससे आप नॉन-परफॉर्मिंग फंड्स से समय पर बाहर निकल पायेंगे. जब आपका रिटायरमेंट करीब आयेगा, तब आप इक्विटी फंड्स से पैसा निकालकर डेट फंड्स में लगा सकते हैं.

रिटायरमेंट की बचत के लिए आप ले सकते हैं इनका लाभ

  1. एसआईपी से इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करिये. इसमें आपको ईसीएस का ऑप्शन चुनना चाहिए. इससे आपके बैंक खाते से म्यूचुअल फंड में पैसा एक तय तारीख पर अपने आप कटता रहेगा.
  2. जब भी आपकी सैलरी में बढ़ोतरी हो, उसका 15-20 प्रतिशत हिस्सा बचाइए. आपको पता भी नहीं चलेगा और यह पैसा जमा होता रहेगा.
  3. बच्चे की पढ़ाई के लिए रिटायरमेंट की बचत का इस्तेमाल मत करिये.
  4. इक्विटी से आप लॉन्ग टर्म में 12 फीसदी सालाना और डेट प्रॉडक्ट्स से 7 फीसदी रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं. इससे अधिक रिटर्न की उम्मीद करना मुनासिब नहीं होगा.
  5. हर 2-3 साल पर अपने रिटायरमेंट पोर्टफोलियो की समीक्षा करिये और जरूरत पड़ने पर उसे दुरुस्त करिये.

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