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इस साल की गर्मी में पसीने छुड़ा सकती हैं एसी-फ्रिज की कीमतें, जानिये क्यों…?

नयी दिल्ली : गर्मी के मौसम का आगाज हो गया है. चिलचिलाती गर्मी के मौसम में दिल को ठंडक पहुंचाने के लिए आम तौर पर लोग एयर कंडीशनर आैर फ्रिज के पानी का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं, मगर इस साल की गर्मी में एसी आैर फ्रिज की कीमतें उपभोक्ताआें के पसीने छुड़ा सकते हैं. […]

नयी दिल्ली : गर्मी के मौसम का आगाज हो गया है. चिलचिलाती गर्मी के मौसम में दिल को ठंडक पहुंचाने के लिए आम तौर पर लोग एयर कंडीशनर आैर फ्रिज के पानी का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं, मगर इस साल की गर्मी में एसी आैर फ्रिज की कीमतें उपभोक्ताआें के पसीने छुड़ा सकते हैं.

इसे भी पढ़ेंः गरमी के साथ ही बढ़ी फ्रिज व एसी की डिमांड

इसका कारण यह बताया जा रहा है कि एक तो उपभोक्ता आैर इलेक्ट्राॅनिक वस्तुआें को बनाने वाली कंपनियों को अभी हाल ही के दिनों में सरकार की आेर से बढ़ाये गये सीमाशुल्क की मार झेलनी पड़ रही है, अब डाॅलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी आने की वजह से उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. एेसे में यह कयास लगाया जा रहा है कि इस साल की गर्मी में भारत के उपभोक्ताआें को एसी आैर फ्रिज के लिए पिछले साल के मुकाबले कहीं अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है.

भारतीय मुद्रा बाजार के अनुसार, पिछले हफ्ते शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 65.17 पर चला गया था, जो पिछले तीन महीने का सबसे निचला स्तर था. हालांकि, सोमवार को कारोबार की शुरुआत में डाॅलर के मुकाबले रुपया करीब 23 पैसे के उछाल के साथ कारोबार कर रहा है, लेकिन कहा यह जा रहा है कि आने वाले हफ्तों में एक डॉलर का भाव 66 रुपये तक पहुंचने की आशंका है. ऐसे में आयातित पुर्जों पर निर्भर कंपनियां अपने उत्पादों के दाम बढ़ाने की संभावना तलाश रही हैं.

आयातित वस्तुआें का करना पड़ रहा अधिक भुगतान

मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, रुपये में नरमी से आयात करने वाली कंपनियों को उत्पादों के लिए डॉलर मद में ज्यादा रकम का भुगतान करना पड़ता है. ऐसे में वह बढ़ी हुई लागत का भार ग्राहकों पर डालने की तैयारी कर रही हैं. 6,000 से 7,000 करोड़ रुपये का घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स एवं अप्लाइंसेज बाजार मुख्य रूप से आयातित पुर्जों पर ही निर्भर है. बिजनेस स्टैंडर्ड हिंदी के अनुसार, इससे पहले जनवरी और फरवरी के दौरान एयर कंडीशनर विनिर्माताओं ने उत्पादों के लिए नयी ऊर्जा लेबलिंग लागू होने से 5 से 6 फीसदी तक दाम बढ़ा दिये हैं.

रुपये की नरमी से आयात होगा महंगा

गोदरेज अप्लाइंसेज के कार्यकारी उपाध्यक्ष और कारोबार प्रमुख कमल नंदी ने कहा कि रुपये की नरमी चिंता की वजह है, क्योंकि इससे आयात महंगा होगा. इसके साथ ही, स्टील कीमतों का भी दबाव है. वहीं, विश्लेषकों का कहना है कि रेफ्रिजजेरेटर एवं एयर कंडीशनर बनाने में तांबा और स्टील जैसी धातुओं का इस्तेमाल होता है और अमेरिका तथा अन्य देशों में व्यापार युद्ध छिडऩे की आशंका से धातु कीमतों पर असर पड़ सकता है.

अमेरिका के ट्रेड वार से भी बाजार पर पड़ेगा प्रतिकूल असर

उन्होंने कहा कि अगर अन्य देश भी अमेरिका की तरह आयात शुल्क लगाने का निर्णय करते हैं, तो स्टील की कीमतों में आगे और तेजी आ सकती है. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने पिछले दिनों स्टील के आयात पर 25 फीसदी का शुल्क लगाने का निर्णय किया है. हायर अप्लाइंसेज इंडिया के अध्यक्ष एरिक ब्रागेंजा ने कहा कि वह स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. उन्होंने कहा कि अगर रुपये में उतार-चढ़ाव बना रहा, तो कीमतें बढ़ाने पर विचार किया जायेगा.

ताजा घटनाक्रम पर इलेक्ट्राॅनिक कंपनियों की बनी है नजर

सूत्रों का कहना है कि एलजी, सैमसंग, पैनासोनिक और वीडियोकॉन की भी ताजा घटनाक्रम पर नजर है, क्योंकि उन पर मार्जिन को बचाने का दबाव बना हुआ है. हालांकि, अभी इन कंपनियों ने कीमतों में इजाफा नहीं किया है, लेकिन बजट में आयात शुल्क बढ़ाने की घोषणा के बाद फ्लैट टेलीविजन सेटों के दाम 6 से 8 फीसदी बढ़ाये गये थे. एलजी इंडिया के प्रबंध निदेशक किम की वान ने आयात शुल्क में वृद्धि का विरोध करते हुए कहा कि इससे मांग प्रभावित होगी. व्हर्लपूल ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष-मार्केटिंग कपिल अग्रवाल ने कहा कि अगर रुपये में 66 से ज्यादा नरमी आयी, तो कीमत बढ़ाने पर विचार करना होगा.

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