भारत की निर्यात योजना से नाराज अमेरिका पहुंचा डब्ल्यूटीओ, भारत ने कहा-अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे
नयी दिल्ली : भारत ने गुरुवारको कहा कि वह निर्यात योजनाओं पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए अमेरिका के साथ बातचीत करेगा. निर्यात को प्रोत्साहन देनेवाले कार्यक्रमों को लेकर भारत के खिलाफ डब्ल्यूटीओ में जाने के अमेरिका के निर्णय के बाद सरकार ने यह बात कही. अमेरिका ने बुधवार को भारत से वस्तुओं के […]
नयी दिल्ली : भारत ने गुरुवारको कहा कि वह निर्यात योजनाओं पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए अमेरिका के साथ बातचीत करेगा. निर्यात को प्रोत्साहन देनेवाले कार्यक्रमों को लेकर भारत के खिलाफ डब्ल्यूटीओ में जाने के अमेरिका के निर्णय के बाद सरकार ने यह बात कही.
अमेरिका ने बुधवार को भारत से वस्तुओं के निर्यात योजना समेत निर्यात सब्सिडी कार्यक्रम को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में चुनौती दी. उसका कहना है कि इन कार्यक्रमों से असमान अवसर पैदा हो रहा है जिससे अमेरिकी कंपनियों को नुकसान हो रहा है. वैश्विक व्यापार निकाय के विवाद निपटान प्रणाली के अंतर्गत उन्होंने भारत के साथ परामर्श की मांग की है. वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘अमेरिका ने परामर्श प्रक्रिया के लिए कहा है. हम प्रक्रिया में शामिल होंगे और हम यह सुनिश्चित करेंगे वे हमारे पक्ष से अवगत हो. हम उम्मीद करते हैं कि वे मित्र देश के साथ विवाद के समाधान को लेकर सकारात्मक भावना से इसमें शामिल होंगे.’ विकसित देशों ने विभिन्न मंचों पर मुद्दे को उठाया है कि भारत लगातार तीन साल से 1,000 डाॅलर प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) की सीमा को पार कर गया है, वह अब निर्यात सब्सिडी देने को लेकर पात्र नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘हमारी धारणा है कि भारत के पास सब्सिडी व्यवस्था से बाहर निकलने के लिए आठ साल का समय है और यही हम अमेरिका के समक्ष रखेंगे. हमें उम्मीद है कि वे इस समयसीमा को समझेंगे और इस समयसीमा में हम बाध्यताओं को पूरा करेंगे.’ इस बात को लेकर भ्रम है कि कौन से वर्ष को लेकर आठ साल की अवधि की गणना की जायेगी. भारत चाहता है कि संदर्भ वर्ष 2017 हो. सचिव ने कहा कि भारत ने डब्ल्यूटीओ के किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है और वह जल्दी ही अमेरिका के आवेदन का जवाब देगा. डब्ल्यूटीओ सदस्य देश को जवाब के लिए 60 दिन का समय मिलता है.
अमेरिका के अनुसार भारत के निर्यात सब्सिडी कार्यक्रम से एक असमान स्थिति पैदा हो रही है जिससे अमेरिका कर्मचारियों और विनिर्माताओं को नुकसान हो रहा है. डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान प्रक्रिया के अंतर्गत विचार-विमर्श पहला चरण है. अगर दोनों देश आपसी सहमति से मामले को सुलझाने में विफल रहते हैं, अमेरिका डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान समिति को मामले की समीक्षा के लिये अनुरोध कर सकता है. रीता ने कुछ स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों पर उच्च आयात शुल्क लगाने पर निराशा भी जतायी और कहा कि भारत को इस शुल्क से छूट दी जानी चाहिए क्योंकि वह अमेरिका का रणनीतिक भागीदार है. उन्होंने कहा कि सरकार ने ट्रंप सरकार के इस कदम को लेकर अपनी चिंता और नाखुशी से अवगत करा दिया है.
सचिव ने कहा, ‘फिलहाल हम स्टील और एल्युमीनियम के बड़े आयातक नहीं हैं, लेकिन अमेरिका के लिए एक बड़े भागीदार हैं. हमारा मानना है कि जिन अन्य देशों के साथ अमेरिका का रणनीतिक भागीदारी है, उन देशों की तरह भारत को इन शुल्कों से छूट मिलनी चाहिए.’ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड्र ट्रंप ने आयातित स्टील और एल्युमीनियम पर क्रमश: 25 प्रतिशत और 10 प्रतिशत का शुल्क लगाया. इस शुल्क से कनाडा तथा मैक्सिको को छूट दी गयी है.
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