रेलवे की संपत्तियों पर नजर गड़ाना नहीं होगा अब आसान, अंतरिक्ष से होगी सुरक्षा

नयी दिल्ली : रेलवे की संपत्ति अथवा जमीन पर कब्जा करना आसान नहीं होगा. ऐसा करने वालों पर नजर रखने और अपनी संपत्तियों की सुरक्षा के लिए रेलवे ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये हैं. उसने ऐसा इंतजाम किया है कि अब उसकी संपत्तियों की सुरक्षा जमीन से नहीं, बल्कि अंतरिक्ष से होगा. इसके लिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 24, 2018 7:35 PM

नयी दिल्ली : रेलवे की संपत्ति अथवा जमीन पर कब्जा करना आसान नहीं होगा. ऐसा करने वालों पर नजर रखने और अपनी संपत्तियों की सुरक्षा के लिए रेलवे ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये हैं. उसने ऐसा इंतजाम किया है कि अब उसकी संपत्तियों की सुरक्षा जमीन से नहीं, बल्कि अंतरिक्ष से होगा. इसके लिए रेलवे और इसरो के बीच समझौता पत्र पर हस्ताक्षर भी हो चुके हैं. इसे अमलीजामा पहनाने के लिए रेलवे ने सभी मंडलों को सभी संपत्तियों का डाटा संकलन करने के दिशा-निर्देश दिये हैं.

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रेलवे के मुताबिक, प्रत्येक मंडल में एक कंट्रोल रूम भी स्थापित किया जायेगा, जहां रेलवे के अधिकारी सभी संपत्तियों की जानकारी मुख्य कंट्रोल रूम को देंगे. इसके जरिये इसरो के पास पूरी जानकारी भेजी जायेगी, जहां चिह्नित स्थानों को सैटेलाइट में फीड किया जायेगा. इसके साथ ही, कहा यह भी जा रहा है कि रेलवे की सभी संपत्तियों का खाका तैयार किये जाने के बाद जीआईएस पोर्टल विकसित किया जायेगा. यह पूरी तरह से जीपीएस प्रणाली पर आधारित होगा. इसका कार्य जोरशोर से चल रहा है. फिलहाल, प्रगति के लिहाज से कार्य इस साल के दिसंबर तक पूरा होने की संभावना है. इसके लिए सीआरआइएस (सेंटर फॉर रेलवे इनफर्मेशन सिस्टम्स) एप्लीकेशन तैयार करने में लगा है.

मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, भारतीय रेलवे ने संपत्तियों की निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए दिशा-निर्देश दिये हैं. बताये गये मैपिंग के हिसाब से सैलेलाइट में चिह्नित स्थान अपलोड होगा, जिससे 24 घंटे उन पर नजर रखी जा सकेगी. इसमें रेलवे स्टेशन भी शामिल हैं. इसके अलावा, इसके जरिये रेलवे ट्रैकों पर भी नजर रखे जा सकेंगे, ताकि ट्रैक और सिग्नल उपकरणों की खामी को पकड़ा जा सके.

ट्रैकों के काम भी ऑनलाइन दिखेंगे. इससे सेंट्रल रेलवे को यह भी जानकारी मिलेगी कि कहां निर्माण या मरम्मत का काम चल रहा है. रेलवे के मुताबिक, पूरी प्लानिंग के बाद ही इसरो के साथ समझौता किया गया है. इसके लिए रेलवे के इंजीनियर और इसरो संयुक्त रूप से प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं.

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