”1 अप्रैल से लागू हो रहा है ई-वे बिल, राजस्व वसूली लक्ष्य हासिल करने में मिलेगी मदद”

नयी दिल्ली : उद्योग जगत के विशेषज्ञों का मानना है कि माल परिवहन के लिये ई-वे बिल व्यवस्था लागू होने से राजस्व वसूली लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी लेकिन व्यवस्था के पूरी तरह से लागू होने तक सरकार को छोटे उद्योगों और व्यापारियों को सहारा देना जरूरी है. देश में एक राज्य से दूसरे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 31, 2018 4:08 PM

नयी दिल्ली : उद्योग जगत के विशेषज्ञों का मानना है कि माल परिवहन के लिये ई-वे बिल व्यवस्था लागू होने से राजस्व वसूली लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी लेकिन व्यवस्था के पूरी तरह से लागू होने तक सरकार को छोटे उद्योगों और व्यापारियों को सहारा देना जरूरी है. देश में एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच माल परिवहन को जीएसटी नेटवर्क के तहत लाने के लिये इलेक्ट्रानिक-वे बिल व्यवस्था कल यानी एक अप्रैल 2018 से लागू हो रही है.

कोई भी व्यापारी अपने जीएसटीआईएन का इस्तेमाल करते हुये माल भेजने के लिये ई-वे बिल पोर्टल पर पंजीकरण करा सकता है. एक राज्य से बाहर दूसरे राज्य में पचास हजार रुपये से अधिक का माल भेजने पर ई-वे बिल में पंजीकरण कराना जरूरी होगा। हालांकि, इसमें जीएसटी से छूट प्राप्त वस्तुओं का मूल्य शामिल नहीं होगा. पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल की अप्रत्यक्ष कर समिति के अध्यक्ष बिमल जैन ने बातचीत में कहा ‘ई-वे बिल व्यवस्था के अमल में आने से सरकार को राजस्व वसूली लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी.’

उन्होंने कहा कि ई-वे बिल व्यवस्था लागू होने के बाद शुरुआत में ही राजस्व वसूली 10-15 प्रतिशत तक बढ़ सकती है. उल्लेखनीय है कि सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद जीएसटी राजस्व संग्रह उस गति से नहीं बढ़ पा रहा है जितना बढ़ना चाहिये था. फरवरी में जीएसटी संग्रह 85,174 करोड़ रुपये रहा है जो कि जनवरी 2018 की प्राप्ति 86,318 करोड़ रुपये से कम रहा. देश में जुलाई 2017 में जीएसटी व्यवस्था लागू होने पर पहले महीने में जीएसटी प्राप्ति 93,590 करोड़ रुपये रही. उसके बाद सितंबर में यह सबसे ज्यादा 95,132 करोड़ रुपये रही और उसके बाद इसमें गिरावट आ गयी.

बिमल जैन ने कहा कि सरकार को ई-वे बिल की सफलता के लिये छोटे और असंगठित क्षेत्र को सहारा देने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, ‘जब भी कोई नयी व्यवस्था अमल में आती है तो उसके लिये चीजों को समझना और प्रशिक्षण देना जरूरी होता है. शुरुआती दौर में यदि किसी से कोई गलती होती है तो कम से कम छह माह तक जुर्माना और दंडात्मक कारवाई से बचा जाना चाहिये और गलती को सुधारने पर जोर दिया जाना चाहिये.’

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