नयी दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक 2018-19 की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक में ब्याज दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रख सकता है. वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से घरेलू स्तर पर मुद्रास्फीति का जोखिम बना हुआ है. यह आम बजट के बाद पहली मौद्रिक समीक्षा होगी. रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक 4-5 अप्रैल को होनी है.
खुदरा मुद्रास्फीति में कमी तथा वृद्धि को रफ्तार देने की जरूरत की वजह से केंद्रीय बैंक पर नीतिगत दरों में कटौती का दबाव है. अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने एक नोट में कहा, ‘हमारा अनुमान है कि एमपीसी नीतिगत दरों को यथावत रखेगी और अपना तटस्थ रुख कायम रखेगी.’ बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफाएमएल) ने भी यही राय जतायी है.
हालांकि, उसने कहा कि यदि मॉनसून अनुकूल रहता है, तो अगस्त समीक्षा में केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. उद्योग मंडलों का भी मानना है कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों में बदलाव नहीं करेगा. एसोचैम ने बयान में कहा कि रिजर्व बैंक के पास ब्याज दरों में कटौती की काफी कम गुंजाइश है ऐसे में हमारा अनुमान है कि इसमें बदलाव नहीं होगा. फिलहाल रेपो दर 6 प्रतिशत तथा रिवर्स रेपो दर 5.75 प्रतिशत पर है.
कोटक महिंद्रा बैंक का मानना है कि अभी रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दरों में बदलाव नहीं किया जायेगा, क्योंकि2018-19 में मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है.
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