अभी बाजार में है मंदी, निवेशक धैर्य से लें काम, इन बातों का रखें ध्‍यान

शेयर बाजार के सूचकांक फरवरी और मार्च माह में अपनी ऊंचाई से नौ से 10 प्रतिशत तक पहले ही गिर चुका है और यह गिरावट कहां तक जायेगी इसका अंदाज भी नहीं लग पा रहा है. निवेशक लाचार होकर अपने निवेशित धन का अवमूल्यन होते देख रहे हैं. यदि बाजार में लगभग 5000 करोड़ रुपया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 2, 2018 12:32 AM
शेयर बाजार के सूचकांक फरवरी और मार्च माह में अपनी ऊंचाई से नौ से 10 प्रतिशत तक पहले ही गिर चुका है और यह गिरावट कहां तक जायेगी इसका अंदाज भी नहीं लग पा रहा है. निवेशक लाचार होकर अपने निवेशित धन का अवमूल्यन होते देख रहे हैं.
यदि बाजार में लगभग 5000 करोड़ रुपया प्रतिमाह एसआइपी के माध्यम से नहीं आता रहता, तो बाजार और तेजी से टूटता. पिछले दो साल की तेजी के दौरान बाजार में जिन निवेशकों ने बड़ी मात्रा में एकमुश्त निवेश या एसआइपी द्वारा निवेश की शुरुआत की है, उनमें से बहुत से निवेशक बरसाती मेढक की तरह इस पहली मंदी को नहीं झेल पायेंगे.
इन निवेशकों ने सिर्फ तेजी देखी है, मंदी नहीं. नये निवेशकों को बाजार की चाल का अनुभव नहीं है. बिना जोखिम समझे लालच में निवेश करने वाले निवेशकों को जब नुकसान दिखेगा, तब वे बड़ी मात्रा में निकासी करेंगे और एसआइपी को भी बंद करेंगे.
पिछले 20 साल में इक्विटी वाले म्यूचुअल फंड्स ने औसतन धन को पैंतालीस गुना बढ़ाया है. निवेशक बाजार की तेजी या मंदी में भय/लालच का शिकार हो कर धैर्य खो बैठते हैं. ऐसे में धैर्य नहीं खोना चाहिए.
अल्पकालीन घटनाओं का बड़ा प्रभाव नहीं होता
साधारण निवेशकों को तैयार रहने की जरूरत है कि हर समय बाजार में अच्छी और बुरी दोनों खबर रहेगी. आज भारत की हर क्षेत्र की आधारभूत संरचनाओं में आमूलचूल परिवर्तन हो रहा है और बढ़ती आय के साथ-साथ उपभोक्ता बाजार बहुत तेजी से बढ़ रहा है. बड़ा देश होने के बावजूद भी हमारी आर्थिक विकास की दर काफी तेज है. यानी हमारे देश में निवेश की दुनिया में बहुत बड़ा पैसा बनना तय है.
लेकिन बाजार में अल्पकालीन तेजी या मंदी बनी रहेगी. अल्पकाल में बाजार की दिशा को बारिश की भविष्यवाणी तय करेगी. मई-जून में आने वाले कंपनियों के सालाना रिपोर्ट तय करेंगे. केंद्र और राज्यों के बीच शासन अधिकारों को लेकर बढ़ता तनाव तय करेगा. विपक्षी ताकतों का ध्रुवीकरण तय करेगा. वैश्विक मंच पर चल रहा ट्रेड वार तय करेगा. लेकिन यदि आगामी दस वर्षों के परिपेक्ष्य में देखें, तो इन अल्पकालीन घटनाओं का कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ता है.
इसलिए निवेशकों को समय-समय पर गिरावट के अल्पकालीन दर्द को सहने की क्षमता का प्रदर्शन करना होगा. अनुभवी निवेशक गिरावट में अवसर को तलाशते हैं और धैर्य के साथ इंतजार करते हैं. कहते है सब्र का फल मीठा होता है. गिरावट के समय किया गया निवेश ही बेहतरीन लाभ को सुनिश्चित करता है.
मंदी के दौर को अवसर के रूप में देखें
नये निवेशक सलाह के बावजूद भी मंदी में निवेश नहीं कर पाते हैं. हालिया परिस्थिति को देख कर बाजार से लाभ मिलने पर से उनका विश्वास फौरी तौर पर उठ जाता है.
धन बनाना है, तो मंदी के दौर को अवसर में तब्दील करते हुए धैर्य के साथ तेजी के किनारे तक पहुंचना होगा. जिन्होंने लालच में अपनी क्षमता से अधिक जोखिम लिया है, वे आज भी अपने पोर्टफोलियो का रिस्क एडजस्टमेंट और एसेट एलोकेशन सुधार लें और मंदी में निवेश के अवसरों का लाभ उठाने से न चूकें.
निवेशकों के लिए सलाह
अभी बाजार में मंदी आयी हुई है. सूचकांक नीचे जा रहा है. नये निवेशक घबराहट में गलत निर्णय लेने को तैयार हैं. नये निवेशकों को बाजार की चाल का अनुभव नहीं है. प्रस्तुत है पीएमपीके वेल्थ् एडवाइजर्स प्रा लि के निदेशक प्रदीप कुमार जैन की सलाह.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version