RBI ने ब्याज दर रखी ज्यों की त्यों, 2018-19 में आर्थिक वृद्धि मजबूत होकर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान
मुंबई : तेल की कीमतों आदि के कारण मुद्रास्फीति के मोर्चे पर अनिश्चितताओं के चलते मौद्रिक नीति समिति ने रिजर्व बैंक की नीतिगत ब्याज दर में गुरुवार को कोई बदलाव नहीं किया. केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के दौरान निवेश गतिविधियां बढ़ने से आर्थिक वृद्धि मजबूत होकर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया […]
मुंबई : तेल की कीमतों आदि के कारण मुद्रास्फीति के मोर्चे पर अनिश्चितताओं के चलते मौद्रिक नीति समिति ने रिजर्व बैंक की नीतिगत ब्याज दर में गुरुवार को कोई बदलाव नहीं किया. केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के दौरान निवेश गतिविधियां बढ़ने से आर्थिक वृद्धि मजबूत होकर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है.
चालू वित्त वर्ष की पहली समीक्षा बैठक में मौद्रिक नीति समिति ने रिजर्व बैंक की रेपो दर को 6 प्रतिशत पर यथावत रखा. यह लगातार चौथा मौका है जब इस दर में कोई बदलाव नहीं किया. यह वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को तात्कालिक जरूरत के लिए नकद राशि उधार देता है और इसके घटने बढ़ने से बैंकों के धन की लागत प्रभावित होती है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में हुई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद जारी वित्त वर्ष 2018-19 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा गया है, ‘एमपीसी ने मौद्रिक नीति के तटस्थ रुख को जारी रखते हुये नीतिगत दर रेपो को पूर्वस्तर पर ही रखने का फैसला किया. एमपीसी ने मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के स्तर पर रखने के मध्यम अवधि के लक्ष्य को हासिल करने के अपने वादे को दोहराया है.’
इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर, वह दर जिस पर केंद्रीय बैंक अन्य बैंकों की अतिरिक्त नकदी को उठाता है, 5.75 प्रतिशत पर पूर्ववत रहेगी. एमपीसी ने आखिरी बार अगस्त 2016 में रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6 प्रतिशत किया था. उसके बाद से यह इसी स्तर पर बनी हुई है. मुद्रास्फीति दर पिछले साल दिसंबर में 5.2 प्रतिशत तक बढ़ने के बाद जनवरी में नरम पड़कर 5.07 प्रतिशत और फिर फरवरी में और घटकर 4.4 प्रतिशत रह गयी.
केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर मजबूत होकर 7.4 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान लगाया है. पिछले वित्त वर्ष में इसके 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है. सरकार ने रिजर्व बैंक को महंगाई दर को 4 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया है. इसमें दो प्रतिशत ऊपर अथवा नीचे तक यह जा सकती है. मुद्रास्फीति के इस दायरे से ऊपर निकलने पर केंद्रीय बैंक पर ब्याज दर में कटौती नहीं करने का दबाव बढ़ जायेगा.
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