मुंबई : देश के निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आइसीआइसीआइ की सीइओ चंदा कोचर के पद पर बने रहने पर बोर्ड बंट गया है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, दो सप्ताह पहले जहां आइसीआइसीआइ बैंक का बोर्ड पूरी तरह चीफएक्जक्यूटिव ऑफिसर चंदा कोचर के पक्ष में था, वहीं अब उनके पद पर बने रहने को लेकर बोर्ड के सदस्यों की अलग-अलग राय है. बोर्ड के कुछ बाहरी सदस्य उनके पद पर रहने का विरोध कर रहे हैं.
चंदा कोचर इन दिनों अपने पति दीपक कोचरववीडियोकॉनग्रुपके मालिक वेणुगोपाल धूत की साझेदारीवाले न्यूपॉवररिन्यूबल कोबैंकके द्वारा दिये गयेकरीब3200 करोड़ रुपये के लोन को लेकर विवाद में हैं. इस लोन को बाद में एनपीए में डाल दिया गया था. हालांकि जिस समय यह लोन दिया गया था, उस समय चंदा कोचर बैंक सीइओ नहीं बल्कि ज्वाइंट एमडी थीं.
धूत ने भी कहा है कि वे लोन देने वाली 12 सदस्यीय कमेटी की एक सदस्य मात्र थीं और वे चंदा कोचर की तरह कमेटी के दूसरे सभी सदस्यों को भी निजी तौर पर जानते थे. आइसीआइसीआइ बैंक के चेयरमैन एमके शर्मा भी चंदा कोचर का बचाव कर चुके हैं औरउन पर पूरा विश्वास है और उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है.
चंदा कोचर का सीइओ का कार्यकाल 31 मार्च 2019 तक है, लेकिन बोर्ड इस सप्ताह किसी दिन बैठक कर उनके संबंध में फैसला लेगा.
आइसीआइसीआइ बोर्ड में चेयरमैन एमके शर्मा सहित छहस्वतंत्र निदेशक हैं. एमके शर्मा सरकार की इंश्योरेंस कंपनी एलआइसी के भी प्रमुख हैं. ब्लूमबर्ग के अनुसार, एलआइसी की आइसीआइसीआइ में 9.4 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. इस बोर्ड में आइसीआइसीआइ की तरफ से पांच कार्यकारी निदेशक भी हैं.
जांच एजेंसियों ने हाल में बैंक लोन मामले की जांच शुरू की है और चंदा कोचर के परिवार के कुछ सदस्यों से पूछताछ की गयी है.
जानें दीपक कोचर के व्यक्तित्व के बारे में :
आइसीआइसीआइ बैंक चीफ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर कौन हैं और क्यों चर्चा में हैं?
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