मुंबई : राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की चालू वित्त वर्ष में अपने दीर्घावधि ऋण या पुनर्वित्त पोर्टफोलियो को 80,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने की योजना है.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए विकास वित्त संस्थान दीर्घावधि ऋण बढ़ाना चाहता है. वित्त वर्ष 2017-18 में नाबार्ड ने 65,000 करोड़ रुपये का दीर्घावधि का ऋण दिया था.
मार्च, 2018 में समाप्त वित्त वर्ष में नाबार्ड ने 2,951 करोड़ रुपये का अधिशेष अर्जित किया. उसकी योजना बांड ऋण से 40,000 करोड़ रुपये जुटाने की है.
बैंक ने 2017-18 में 33,000 करोड़ रुपये का ऋण जुटाया था और वह बाजार से ऋण जुटाने वाले शीर्ष तीन संस्थानों में शामिल रहा.
नाबार्ड के चेयरमैन एचके भानवाला ने यहां संवाददाताओं से कहा कि जुटायी गयी राशि का इस्तेमाल ग्रामीण विकास से संबंधित परियोजनाओं मसलन अनाज भंडारण सुविधा, ग्रामीण सड़कों, डेयरी विकास और सिंचाई सुविधा पर किया जायेगा.
उन्होंने कहा कि दीर्घावधि पुनर्वित्त पोर्टफोलियो में लगातार सुधार हो रहा है. वित्त वर्ष 2016-17 में यह 53,500 करोड़ रुपये था, जो मार्च 2018 के अंत तक बढ़कर 65,000 करोड़ रुपये हो गया. 2018-19 में हमें इसके 75,000 से 80,000 करोड़ रुपये पर पहुंचने की उम्मीद है.
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