कर्मचारियों को केंद्र का झटका, इपीएफ व पेंशन कवरेज के लिए बेसिक सैलरी बढ़ाने का प्रस्ताव रद्द

नयी दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार ने संगठित क्षेत्र के अधिक से अधिक कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से इपीएफ और पेंशन कवरेज के दायरे में लाने के लिए बेसिक सैलरी बढ़ाने की योजना त्याग दी है. पहले सरकार की यह योजना थी कि वह इसके लिए बेसिक सैलरी को 15 हजार रुपये से बढ़ा कर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 16, 2018 4:14 PM

नयी दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार ने संगठित क्षेत्र के अधिक से अधिक कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से इपीएफ और पेंशन कवरेज के दायरे में लाने के लिए बेसिक सैलरी बढ़ाने की योजना त्याग दी है. पहले सरकार की यह योजना थी कि वह इसके लिए बेसिक सैलरी को 15 हजार रुपये से बढ़ा कर 21 हजार रुपये करेगी, लेकिन अब खर्च बढ़ने की चिंता से सरकार ने इस योजना को ठंडे बस्ते में डालने का निर्णय लिया है. अगर सरकार बेसिक सैलरी की सीमा को बढ़ाती तो इसके दायरे में संगठित क्षेत्र के 60 लाख और कर्मचारी आ जाते.

बिजनेस न्यूज वेबसाइट लाइव मिंट की खबर के अनुसार, श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा है कि ऐसा नहीं होने जा रहा है, इस तरह का हमारी अोर से कोई प्रस्ताव नहीं है. उन्होंने कहा है कि मैं इस मामले में इससे ज्यादा और टिप्पणी नहीं कर सकता हूं. वहीं, सेंट्रल पीएफ कमिश्नर वीपी जॉय ने कहा है कि हां, सेंट्रल बोर्ड ने सैलरी सीमा में वृद्धि की अनुशंसा की थी.

श्रम मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, सरकार अगर ऐसा फैसला करती तो खजाने पर तीन हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ता है और यह मौजूूदा समय में यह एक अच्छा प्रस्ताव नहीं होता. केंद्र सरकार इपीएफओ के सदस्यों के बेसिक वेतन का 1.16 प्रतिशत योगदान हर महीने पेंशन के लिए करती है. वहीं, कर्मचारी अपने बेसिक वेतन का 12 प्रतिशत पीएफ में योगदान करते हैं और इतना ही योगदान उनका नियोक्ता करता है. इसमें नियोक्ता के योगदान का 8.33 प्रतिशत हिस्सा पेंशन मद में और 3.67 प्रतिशत हिस्सा पीएफ के लिए जाता है.

इस मामले में श्रम मंत्रालय के सूत्रों ने बताया है वित्त मंत्रालय ने इसमें इंतजार करने को कहा है.

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