नयी दिल्ली : सरकार ने तेजी से बढ़ते ई-काॅमर्स क्षेत्र पर नीति की रूपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए कार्यबल गठित करने का फैसला किया है. वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया ने ई-काॅमर्स पर राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए गठित इकाई की पहली बैठक के बाद यह जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि बैठक में कराधान, बुनियादी ढांचा, निवेश, प्रौद्योगिकी स्थानांतरण, नियमन और प्रतिस्पर्धा सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई. इसका गठन वाणिज्य व उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में की गयी है.
उन्होंने कहा, उद्देश्य यही है कि ई-काॅमर्स नीति के लिए रूपरेखा लायी जाये. बैठक में शामिल होने के बाद ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा ने कहा कि देश में डेटा एकाधिपत्य विकसित हो रहा है और नियम बनाये जाने की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उपभोक्ता का डेटा सुरक्षित हो.
शर्मा ने जीएसटी व यूपीआई का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत ने अनेक प्लेटफाॅर्म बनाये हैं, जिनसे बड़ी मात्रा में डेटा सृजित हो रहा है.
ई-कॉमर्स पर हर तीसरे ग्राहक को मिल रहा है नकली प्रोडक्ट
हाल ही में आये दो सर्वे के रिपोर्ट्स की मानें, तो ई-कॉमर्स स्पेस पर ग्राहकों को अब भी फर्जी या फेक प्रोडक्ट्स मिल रहे हैं. पहला सर्वे लोकल सर्किल्स और दूसरा सर्वे वेलोसिटी एमआर ने किया है जिसमें यह बताया गया है कि देश में तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स स्पेस में अभी भी हर तीसरे ग्राहक को फेक या नकली प्रोडक्ट मिल रहा है.
लोकल सर्कल्स के सर्वे में पता चला कि 6,923 लोगों में से 38 प्रतिशत लोगों को इस तरह के प्रोडक्ट मिले हैं.इस सर्वे में 12 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि उन्हें स्नैपडील से नकली प्रोडक्ट मिला, जबकि 11 प्रतिशत लोगों ने अमेजन का नाम लिया. लोकल सर्कल्स के मुताबिक 6 प्रतिशत लोगों ने माना कि उन्हें फ्लिपकार्ट से नकली प्रोडक्ट मिले.
वहीं, दूसरा सर्वे वेलोसिटी एमआर ने 3000 लोगों के बीच किया. इस सर्वे में यह पता लगा कि पिछले 6 महीने में हर 3 में से एक कस्टमर को नकली या फेक प्रोडक्ट्स मिले हैं.
जिन लोगों पर यह सर्वे किया गया, उनमें से ज्यादातर ने बताया कि खास तौर पर उन्हें परफ्यूम्स, जूते, स्पोर्ट्स के सामान, फैशन एपैरल्स और बैग्स कीजगह नकली प्रोडक्ट मिले हैं. यहां तक कि ग्राहकों की बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर सरकार ने ई-कॉमर्स साइट्स के लिए कुछ नियम निकाले हैं, जिससे ऐसे मामलों में उनकी जवाबदेही तय हो सके.
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