मुंबई : नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने ऋण चुकाने में तय समय से अधिक देरी के एक दिन के भीतर सूचित करने के रिजर्व बैंक के नये प्रावधान को छोटे एवं मध्यम उपक्रमों (एसएमई) के लिए शनिवार को काफी कड़ा करार दिया. उन्होंने इन उपक्रमों की सुविधा के लिए अधिक समय दिया जाना चाहिए. रिजर्व बैंक ने फंसे ऋण के लिए 12 फरवरी को जारी संशोधित रूपरेखा में कहा कि ऋण-ब्याज भुगतान में देरी होने पर उसे अगले एक दिन के भीतर ही सूचित करना होगा.
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बंबई शेयर बाजार के एक कार्यक्रम में शनिवार की शाम कुमार ने कहा कि मुझे निजी तौर पर लगता है कि गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए ) की एक ही दिन के भीतर जानकारी देने का प्रावधान सही नहीं है. मुझे लगता है कि इसे लंबा होना चाहिए, खासकर एसएमई के लिए. उन्होंने कहा कि प्राय : ऐसा होता है कि उन्हें (एसएमई) अपने ग्राहकों से समय पर भुगतान नहीं मिलता है.
उन्होंने कहा कि भुगतान में इस तरह की देरी से हो सकता है कि वे इस प्रावधान का अनुपालन नहीं कर सकें. मुझे लगता है कि यह कठोर है. रिजर्व बैंक के नये दिशा-निर्देशों को काफी कड़ा मानते हुए बैंकों ने इस मामले में कुल राहत दिये जाने को कहा और इसे रिपोर्टिंग का समय एक दिन के बजाय 30 दिन किये जाने पर जोर दिया, लेकिन रिजर्व बैंक ने अपने 12 फरवरी के सर्कुलर में कोई रियायत देने से इनकार कर दिया.
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