नयी दिल्ली: केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि आइडिया सेल्युलर के 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) के प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय दूरसंचार मंत्रालय लेगा. आइडिया ने कंपनी में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 100 प्रतिशत तक बढ़ाने की सरकार से अनुमति मांगी है. दूरसंचार विभाग ने प्रस्ताव पर कुछ शर्तें लगाते हुए इस पर औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआइपीपी) से राय मांगी है. प्रभु ने पीटीआइ भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा, यह मामला पूरी तरह से दूरसंचार मंत्रालय के दायरे में आता है. हम यह स्पष्ट कर चुके हैं. इस पर हमारी अनुमति की कोई आवश्यकता नहीं है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दूरसंचार विभाग को सूचित किया गया है कि वे इस प्रस्ताव के लिए सक्षम प्राधिकरण है. हमने तत्काल प्रभाव से प्रस्ताव को वापस भेज दिया है और कहा है कि इस पर आपको निर्णय करना है. उन्होंने कहा कि कर देनदारी के साथ कोई और शर्त नहीं है. आइडिया और वोडाफोन इंडिया के लंबित पड़े विलय के लिहाज से आइडिया का यह प्रस्ताव महत्वपूर्ण माना जा रहा है. वर्तमान में एफडीआइ नीति के तहत कोई विदेशी कंपनी स्वचालित मार्ग से किसी भारतीय दूरसंचार कंपनी में 49 प्रतिशत तक की हिस्सेदारी खरीद सकती है. 49 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी खरीदने के लिए सरकार की मंजूरी की आवश्यकता पड़ती है.
देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी के निर्माण के लिए आइडिया और वोडोफोन ने पिछले वर्ष अपने परिचालन के विलय की घोषणा की थी. नयी कंपनी का मूल्य 23 अरब डॉलर होगा और दूरसंचार बाजार में उसकी 35 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी.
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