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Petrol-diesel की कीमतों ने बढ़ायी महंगार्इ की रफ्तार, फलों आैर सब्जियों ने बिगाड़ा थोक बाजार का जायका

नयी दिल्ली : पेट्रोल व डीजल के दाम में वृद्धि तथा फलों सब्जियों के महंगा होने से थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल महीने में बढ़कर 3.18 फीसदी हो गयी. यह इसका चार महीने का उच्चतम स्तर है. थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति मार्च में 2.47 फीसदी तथा पिछले साल अप्रैल में 3.85 फीसदी रही […]

नयी दिल्ली : पेट्रोल व डीजल के दाम में वृद्धि तथा फलों सब्जियों के महंगा होने से थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल महीने में बढ़कर 3.18 फीसदी हो गयी. यह इसका चार महीने का उच्चतम स्तर है. थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति मार्च में 2.47 फीसदी तथा पिछले साल अप्रैल में 3.85 फीसदी रही थी. थोक मुद्रास्फीति में दिसंबर 2017 से ही गिरावट का रुख था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी तथा खाद्य कीमतों में मौसमी बढ़ोतरी के चलते अप्रैल में इसमें तेजी गयी.इससे पहले थोक मुद्रास्फीति का इससे ऊंचा स्तर दिसंबर में था, जब यह 3.58 फीसदी थी.

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सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य जिंसों की मुद्रास्फीति अप्रैल, 2018 में 0.87 फीसदी रही. इससे पिछले माह खाद्य जिंसों के थोक दाम 0.29 फीसदी घटे थे. अप्रैल महीने में सब्जियों के दाम 0.89 फीसदी घटे रही, जबकि इससे पहले महीने में यह 2.70 फीसदी थी. फलों के दाम अप्रैल में 19.47 फीसदी ऊुंचे रहे, जबकि इससे पिछले महीने में इनके दाम सालाना आधार पर 9.26 फीसदी ऊंचे थे.

आंकड़ों के अनुसार, ‘ईंधन व बिजली’ वर्ग के लिए मुद्रास्फीति अप्रैल महीने में 7.85 फीसदी रही, जो मार्च में 4.70 फीसदी थी. वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी के बीच घरेलू ईंधन कीमतों में वृद्धि का असर इस दौरान रहा. कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी के असर के चलते घरेलू बाजार में पेट्रोल के दाम बढ़कर 74.80 रुपये प्रति लीटर व डीजल के दाम 66.14 रुपये प्रति लीटर के रिकाॅर्ड स्तर पर आ गये हैं.

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा है कि थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में तेजी का यह रुख इस तिमाही में आगे जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि सरकार ईंधनों पर उत्पाद शुल्क में किसी कटौती से पहले जीएसटी के राजस्व के ब और अधिक आंकड़ों का इंतजार कर सकती है. फरवरी महीने के लिए थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति को संशोधित कर 2.74 फीसदी किया गया है, जबकि इसके लिए अस्थायी अनुमान 2.48 फीसदी का था. मौजूदा वित्त वर्ष के लिए अपनी पहली मौद्रिक नीति समीक्षा में भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है.

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