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पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए एक्शन में सरकार, शाम में प्रधान करेंगे बैठक

मुंबई: कच्चे तेल के दाम बढ़ने से हर कोई परेशान है. इससे देश पर मुद्रास्फीतिक असर पड़ सकता हैऔर महंगाई बढ़ सकती है. इसकी बढ़ी कीमतों के कारणब्याज दरेंभी रिजर्व बैंक बढ़ा सकता है और इससे हमारी-आपकी इएमआइ महंगी हो जाएगी.यानी महंगाई का बोझचौतरफा बढ़ेगा.नरेंद्रमोदी सरकार के लिए यह बड़ी परेशानी का सबबइसवजह से भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 22, 2018 1:13 PM

मुंबई: कच्चे तेल के दाम बढ़ने से हर कोई परेशान है. इससे देश पर मुद्रास्फीतिक असर पड़ सकता हैऔर महंगाई बढ़ सकती है. इसकी बढ़ी कीमतों के कारणब्याज दरेंभी रिजर्व बैंक बढ़ा सकता है और इससे हमारी-आपकी इएमआइ महंगी हो जाएगी.यानी महंगाई का बोझचौतरफा बढ़ेगा.नरेंद्रमोदी सरकार के लिए यह बड़ी परेशानी का सबबइसवजह से भी है,क्योंकि इस साल के अंत मेंभारतीय जनता पार्टी को मध्यप्रदेश, राजस्थानव छत्तीसगढ़चुनावलड़नेजानाहै. सरकार पर लोगाें को राहत का दबाव है. कर्नाटक चुनाव के समय कुछ समय के लिए पेट्रोलियम कीमतें सरकार ने नियंत्रण में रखी. मंगलवार शाम पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के सीइओ की एक अहम बैठक बुलायी है, इसमें डीलर और कंपनियों के मार्जिन घटाने के विकल्प पर भी विचार किया जा सकता है. इस बैठक में लोगों को महंगे पेट्रोल-डीजल से राहत दिलाने के लिए सभी संभव विकल्पों पर चर्चा की जाएगी.


एक्सपर्ट का क्या कहना है?

विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से रिजर्व बैंक अगस्त में होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि करने पर मजबूर होना पड़ सकता है. एक विदेशी ब्रोकरेज एजेंसी नेऐसा कहा है. एजेंसी ने कहा है, ‘हालांकि शीर्ष बैंक जून में होने वाली आगामी समीक्षा में यथास्थिति बनाये रख सकता है.’ आस्ट्रेलिया की ब्रोकरेज एजेंसी मेक्वेयरी ने कहा, ‘‘ हम अब रिजर्व बैंक की ओर से अनुमानित समय से पहले ही दर में वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं. हम उम्मीद करते हैं कि 0.25 प्रतिशत की पहली वृद्धि अब अगस्त में ही होगी जबकि पहले हम 2019 की पहली तिमाही में इस तरह की वृद्धि का अनुमान लगायेहुएथे. ‘ ब्रोकरेज एजेंसी ने ‘‘बाह्य परिस्थितियों में होते बदलाव’ को देखते हुए अपने अनुमान में बदलाव किया है.

उसने कहा है कि अंतर्निहित आर्थिक कारक कमजोर नहीं है. हालांकि, उसके नोट में बाह्य परिस्थितियों के बारे में विस्तार से कुछ नहीं कहा गया. उसने कहा कि इस बात पर गौर किया जा सकता है कि हाल के समय में कच्चे तेल के मूल्यों में तेजी आयीहै. चालू खाते का घाटा बढ़ा है और रुपये में भारी गिरावटआयी है.

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