केंद्र सरकार ने किसानों की कमाई बढ़ाने की खातिर जारी किया ठेका खेती का मसौदा

नयी दिल्ली : किसानों को खेतीबाड़ी में कमाई बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने अनुबंध खेती का एक मॉडल कानून मसौदा जारी किया है. यह मसौदा न केवल कृषि फसलों के लिए तैयार किया गया है, बल्कि पशुपालन, डेयरी और पॉल्ट्री उत्पादों के क्षेत्र में भी इसका इस्तेमाल हो सकेगा. कृषि उत्पाद और पशुधन अनुबंध […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 22, 2018 10:04 PM

नयी दिल्ली : किसानों को खेतीबाड़ी में कमाई बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने अनुबंध खेती का एक मॉडल कानून मसौदा जारी किया है. यह मसौदा न केवल कृषि फसलों के लिए तैयार किया गया है, बल्कि पशुपालन, डेयरी और पॉल्ट्री उत्पादों के क्षेत्र में भी इसका इस्तेमाल हो सकेगा. कृषि उत्पाद और पशुधन अनुबंध खेती एवं सेवाएं (प्रोत्साहन एवं सहूलियत) अधिनियम 2018 नामक कानून के इस मसौदे में ठेका खेती/सेवाओं को राज्यों के कृषि उत्पादन विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम के दायरे से बाहर रखने को कहा गया है. इससे खरीदारों को उनकी लेन-देन लागत पर पांच से 10 फीसदी की बचत करने में मदद मिलेगी.

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मसौदा कानून में एक विवाद निपटान प्राधिकरण की स्थापना और अनुबंध का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाने की व्यवस्था भी है. कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने ठेका खेती के मॉडल कानून के मसौदे को जारी करने के बाद कहा कि अब गेंद राज्यों के पाले में है कि वह इस मॉडल कानून के मसौदे को अपनाएं और किसानों के फायदे के लिए जल्द से जल्द इसे लागू करें. उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करना है. इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए विपणन और अन्य क्षेत्रों में सुधार किए जा रहे हैं. कार्यक्रम में एक दर्जन से अधिक राज्यों के कृषि मंत्री और अधिकारीगण मौजूद थे.

दो केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला और गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी समारोह में भाग लिया. अनुबंध यानी ठेके पर खेती किसानों (व्यक्तिगत या फिर सामूहिक) और खेती के प्रायोजकों के बीच फसल से पहले किया गया एक समझौता होता है. मॉडल ठेका कानून की अन्य प्रमुख विशेषताओं में ऑनलाइन पंजीकरण के लिए जिला/ब्लॉक /तालुका स्तर पर एक समिति या अधिकारी नियुक्त करना तथा प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए ठेके का रिकॉर्ड रखना शामिल है.

इसके अलावा, इसका उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को उत्पादन और उत्पादन के बाद की गतिविधियों में अर्थव्यवस्था की तमाम गतिविधियों से लाभ उठाने के लिए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) और किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) को बढ़ावा देना है.

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