नयी दिल्ली : सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ उत्पादों को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत 13,000 करोड़ रुपये मूल्य के सरकारी टेंडर या तो रद्द किया गया, वापस लिया गया या उन्हें फिर जारी किया गया है. यह पहल औद्योगिक नीति व संवर्धन बोर्ड (डीआईपीपी) द्वारा ‘मेड इन इंडिया’ को प्रोत्साहित करने के लिए उनकी शर्तों में बदलाव के रूप में की गयी है. सरकारी अधिकारी ने कहा कि डीआईपीपी ‘मेड इन इंडिया’ को प्रोत्साहित करने के लिए सार्वजनिक खरीद आदेश , 2017 के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए हरसंभव कदम उठा रही है.
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सरकार ने भारत में सामान व सेवाओं के विनिर्माण व उत्पादन को प्रोत्साहित करने तथा देश में आय व रोजगार बढ़ाने के लिए यह आदेश 15 जून, 2017 को जारी किया था. डीआईपीपी के हस्तक्षेप के बाद 8000 करोड़ रुपये मूल्य के एक टेंडर को वापस लिया गया और उसकी शर्तों में बदलाव करते हुए उसे पुन: जारी किया गया. यह परियोजना गैसीकरण के लिए यूरिया व अमोनिया संयंत्र की स्थापना से जुड़ा है.
इसी तरह ट्रेन सैट कोच की खरीद से जुड़े एक टेंडर को रद्द कर दिया गया है. इस टेंडर की कुछ प्रतिबंधात्मक शर्तों को घरेलू विनिर्माताओं के हितों के प्रतिकूल पाया गया. इसकी लागत 5000 करोड़ रुपये है. अधिकारियों ने कहा कि विभाग इस संबंध में सभी संबद्ध विभागों व मंत्रालयों के साथ बैठक कर रहा है. उन्होंने कहा कि इस आदेश के अक्षरश: अनुपालन के निर्देश दिये गये हैं.
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