नयी दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन आॅयल काॅरपोरेशन (आईओसी) लगातार दूसरे साल सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली सरकारी कंपनी बनी है. उसने तेल एवं गैस का उत्पादन करने वाली ओएनजीसी को भी छोड़ दिया है. आईओसी के सबसे ज्यादा मुनाफे में रहने के बाद इस बात को लेकर सवाल उठने लगा है कि पेट्रोल-डीजल के चढ़ते दाम के बीच कंपनी को ईंधन सस्ते में बेचने के लिये सब्सिडी क्यों दी जानी चाहिए. हाल में इस तरह की रिपोर्टें आयीं थी कि सरकार ओएनजीसी तथा तेल-गैस उत्पादन से जुड़ी दूसरी कंपनियों को सब्सिडी में योगदान के लिए कह सकती है. आईओसी कारोबार के लिहाज से दशकों तक देश की सबसे बड़ी कंपनी रही.
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आईओसी का शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 2017-18 में 12 फीसदी बढ़कर 21,346 करोड़ रुपये रहा. इससे पूर्व वित्त वर्ष में यह 19,106 करोड़ रुपये रहा था. कंपनी ने पिछले सप्ताह ही वित्तीय परिणाम की घोषणा की. वहीं, आॅयल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन (ओएनजीसी) का शुद्ध लाभ 2017-18 में 11.4 फीसदी बढ़कर 19,945 करोड़ रुपये रहा. हालांकि, दिग्गज कारोबारी मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लगातार तीसरे साल सबसे मूल्यवान कंपनी बनी रही. कंपनी का मुनाफा 36,075 करोड़ रुपये रहा.
देश की सबसे बड़ी साॅफ्टवेयर कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज का शुद्ध लाभ 2017-18 में 25,580 करोड़ रुपये रहा और यह दूसरी सर्वाधिक मूल्यवान कंपनी रही. ओएनजीसी लंबे समय तक सर्वाधिक लाभ कमाने वाली कंपनी रही, लेकिन तीन साल पहले निजी क्षेत्र की रिलायंस और टीसीएस से यह पिछड़ गयी. वास्तव में ओएनजीसी का लाभ सार्वजनिक क्षेत्र की तीन खुदरा कंपनियों. इंडियन आॅयल काॅरपोरेशन (आईओसी), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) तथा भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के संयुक्त लाभ से भी अधिक था, लेकिन अब वह आईओसी से पिछड़ गयी है.
पिछले सप्ताह एचपीसीएल ने वित्त वर्ष 2017-18 के वित्तीय परिणाम की घोषणा की और उसका शुद्ध लाभ 2017-18 में 6,357 करोड़ रुपये जबकि कारोबार 2.43 लाख करोड़ रुपये रहा. वहीं, बीपीसीएल का शुद्ध लाभ पिछले वित्त वर्ष में 7,919 करोड़ रुपये रहा. आईओसी, एचपीसीएल और बीपीसीएल जैसी पेट्रोलियम पदार्थों की खुदरा बिक्री करने वाली कंपनियां अच्छा मुनाफा कमा रही हैं. ऐसी स्थिति में ओएनजीसी और आॅयल इंडिया को उन्हें पेट्रोल-डीजल की सस्ते कीमत पर बिक्री करने पर सब्सिडी में योगदान करने के लिए कहने पर सवाल उठने लगे हैं.
ओएनजीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उनके लाभ को देखिये. उन्हें किसी सब्सिडी समर्थन की जरूरत नहीं है. ओएनजीसी 30,000 से 35,000 करोड़ रुपये सालाना निवेश कर रही है और अगर फिर से उससे सब्सिडी पर ईंधन मांगा जाता है, तो उसके लिए स्थिति कठिन होगी. ओएनजीसी और आॅयल इंडिया ने जून, 2015 तक कच्चे तेल पर 40 फीसदी ईंधन सब्सिडी का भुगतान किया है.
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