नयी दिल्ली : नकदी समस्या से जूझ रहे वेनेजुएला ने ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) को तेल बकाये का भुगतान रोक दिया है. इससे उसका बकाया बढ़कर 45 करोड़ डॉलर तक पहुंच गया है. कंपनी के प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यपालक अधिकारी नरेंद्र के वर्मा ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल एवं प्राकृतिक गैस (ओएनजीसी) की विदेश इकाई ओवीएल की वेनेजुएला के सैन क्रिस्टोबाल फील्ड में 40 फीसदी हिस्सेदारी है. वहां से प्रतिदिन करीब 18,000 बैरल प्रतिदिन तेल का उत्पादन होता है.
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वेनेजुएला की राष्ट्रीय तेल कंपनी पेट्रोलिओस डी वेनेजुएला एसए (पीडीवीएसए) के पास शेष हिस्सेदारी है. कंपनी ने भारतीय कंपनी को 2009 से कोई लाभांश का भुगतान नहीं किया है. ओवीएल ने 2008 में कच्चे तेल के उत्पादन के एवज में 5.62 करोड़ डालर का लाभांश प्राप्त किया था, लेकिन पीडीवीएसए के समक्ष नकद प्रवाह की कठिनाइयों के कारण 2009 से 2013 के बीच कुल 53.76 करोड़ डॉलर लाभांश बकाया है. उसके बाद से कोई लाभांश की घोषणा नहीं की गयी.
वर्मा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि हमने 2016 में पीडीवीएसए के साथ समझौता किया था. इसके तहत किस्तों में बकाये का भुगतान किया जाना था. हमें कुल 8.8 करोड़ डॉलर तीन किस्तों में मिला, लेकिन उसके बाद कोई भुगतान नहीं मिला है. तीन किस्तें दिसंबर, 2016 और मार्च, 2017 के बीच आयीं, लेकिन शेष राशि लंबित पड़ी है. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि वे समझौते का सम्मान करे, क्योंकि परियोजना का वित्त पोषण उससे जुड़ा है. ऐसा नहीं होने पर परियोजना समाप्त हो जायेगी.
वर्मा ने कहा कि हम उनसे बकाये के बदले तेल आबंटन के लिये कह रहे हैं. ओवीएल की वेनेजुएला के ओरिनिको क्षेत्र में स्थित काराबोबो परियोजना में भी 11 फीसदी हिस्सेदारी है. यह अभी उत्पादन के पहले वाली अवस्था में है.
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