नयी दिल्ली: रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति, वैश्विक व्यापार परिदृश्य तथा वृहत आर्थिक आंकड़ा इस सप्ताह शेयर बाजार की दिशा तय कर सकते हैं. विशेषज्ञों ने यह बात कहीहै. कोटक सिक्योरिटील की उपाध्यक्ष (शोध) टीना वीरमानी ने कहा कि आने वाले दिनों में वैश्विक स्तर पर बाजार का ध्यान बांड रिटर्न, तेल कीमतों तथा व्यापार युद्ध को लेकर तनाव पर होगा. घरेलू स्तर पर रिजर्व बैंक की नीति तथा उसका दरों पर पड़ने वाले प्रभाव पर सबकी निगाहें होंगी. इसके अलावा ईंधन की कीमतों तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में संभावित वृद्धि का मुद्रास्फीति पर प्रभाव तथा आर्थिक वृद्धि की संभावना में सुधार पर पर नजरें होगी. उन्होंने कहा कि मौसम विभाग ने लगातार तीसरे वर्ष मानसून सामान्य रहने का अनुमान जताया है. लेकिन बारिश के समय और उसका वितरण भी महत्वपूर्ण है जिस पर सभी का ध्यान होगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस सप्ताह प्रमुख सहयोगी यूरोपीय संघ, कनाडा तथा मेक्सिको से आयातित इस्पात एवं एल्यूमीनियम पर शुल्क लगाने की घोषणा से वैश्विक स्तर पर निवेशकों की धारणा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा. उन्हें जवाबी कदम उठाये जाने की आशंका है. घरेलू स्तर पर रिजर्व बैंक की 2018-19 की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक 4-6 जून को होगी. रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति संबंधी चिंता के कारण अगस्त 2017 से रेपो दर को यथावत रखे हुआ है. सेवा क्षेत्र के लिए पीएमआई (परचेजिंग मैनेजेर्स इंडेक्स) का आंकड़ा भी कारोबारी धारण को प्रभावित करेगा.
एसएएमसीओ सिक्योरिटीज के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी जिमीत मोदी ने कहा, ‘‘इस सप्ताह रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर बढ़ाये जाने की आशंका है. कच्चे तेल के दाम में तेजी के कारण मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति को देखते हुए नीतिगत दर में वृद्धि की जा सकती है. कच्चे तेल की ऊंची कीमत के कारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक बढ़ेगा.’ पिछले सप्ताह सेंसेक्स 302.39 अंक या 0.87 प्रतिशत की बढ़त के साथ 35,227.26 अंक पर पहुंच गया.
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