मुंबई : देश में महंगार्इ बढ़ने की फिक्र में रिजर्व बैंक ने बुधवार को मुख्य नीतिगत दर रेपो में 0.25 फीसदी की वृद्धि कर इसे 6.25 फीसदी कर दिया, जिससे बैंक कर्ज महंगा हो सकता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले कुछ महीनों के दौरान कच्चे तेल के दाम बढ़ने से महंगाई को लेकर चिंता बढ़ी है. रिजर्व बैंक ने पिछले साढे चार साल में बुधवार को पहली बार रेपो दर में वृद्धि की है. चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान को बढ़ाकर 4.8 से 4.9 फीसदी कर दिया है, जबकि वर्ष की दूसरी छमाही के लिए इसे 4.7 फीसदी रखा गया है.
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रिजर्व बैंक के मुद्रास्फीति के इस अनुमान में केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मिलने वाले बढ़े महंगाई भत्ते का असर भी शामिल है. मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन चली बैठक में रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल समेत सभी छह सदस्यों ने रेपो दर में वृद्धि के पक्ष में अपना मत दिया. रिजर्व बैंक ने यहां जारी वक्तव्य में कहा है मौद्रिक नीति समिति ने ‘रेपो दर को 0.25 फीसदी बढ़ा दिया है, जबकि अन्य उपायों को तटस्थ बनाये रखा है. रेपो दर वह दर है, जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों के उनको फौरी नकद की सुविधा उपलब्ध कराता है. इसके बढ़ने से बैंकों के धन की लागत बढ़ जाती है.
कच्चे तेल के बढ़ते दाम ने महंगार्इ को लेकर पैदा की अनिश्चितता
रिजर्व बैंक ने समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के लिये जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 7.4 फीसदी पर पूर्ववत बनाये रखा है. समीक्षा में कहा गया है कि कच्चे तेल के दाम में हाल के दिनों में हलचल पैदा हुई है, जिससे मुद्रास्फीति परिदृश्य को लेकर अनिश्चितता पैदा हुई है, यह अनिश्चितता इसमें वृद्धि और गिरावट दोनों को लेकर है. इससे पहले अप्रैल में जारी मौद्रिक समीक्षा में रिजर्व बैंक ने खुदरा मुद्रास्फीति के लिए पहली छमाही के दौरान 4.7 से 5.1 फीसदी और दूसरी छमाही में इसके 4.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. इसमें केंद्र सरकार के कर्मचारियों का आवास किराया भत्ता वृद्धि का प्रभाव भी शामिल था.
महंगार्इ के अनुमान में मामूली बढ़ोतरी
रिजर्व बैंक ने वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने पर चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति के बारे में अपने पहले के अनुमान को बुधवार को मामूली रूप से बढ़ा दिया. मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन चली बैठक के बाद जारी वक्तव्य में रिजर्व बैंक ने कहा है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में तेजी से बढ़कर 4.6 फीसदी पर पहुंच गयी. इस दौरान खाद्य पदार्थ आैर ईंधन को छोड़कर अन्य समूहों में तीव्र वृद्धि का इसमें अधिक योगदान रहा.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में 74 डाॅलर प्रति बैरल पहुंच गया कच्चे तेल का दाम
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अप्रैल में हुई बैठक के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की भारतीय बास्केट का दाम 66 डाॅलर बढ़कर 74 डाॅलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. इसमें करीब 12 फीसदी वृद्धि दर्ज की गयी. विश्व बाजार में दूसरी उपभोक्ता जिंसों के दाम बढ़ने के साथ ही हाल के वैश्विक वित्तीय बाजार के घटनाक्रमों से विभिन्न उत्पादों के मामले में लागत दबाव बढ़ गया. विभिन्न घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए रिजर्व बैंक ने 2018- 19 की पहली छमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को संशोधित कर 4.8 से 4.9 फीसदी और इसके बाद की अवधि के लिए 4.7 फीसदी कर दिया. इसमें केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मिलने वाले बढ़े हुए आवास किराया भत्ते का असर भी शामिल है. साथ ही, इसमें वृद्धि का जोखिम भी बताया गया है.
केंद्रीय कर्मचारियों के भत्तों से बढ़ा महंगार्इ का अनुमान
पिछली मौद्रिक समीक्षा में रिजर्वबैंक ने सरकारी कर्मचारियों के आवास किराया भत्ते के प्रभाव सहित पहली छमाही के लिए मुद्रास्फीति के 4.7 से 5.1 प्रतिशत आैर दूसरी छमाही के लिए 4.4 फीसदी का अनुमान लगाया था. रिजर्व बैंक ने आगे कहा है कि खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में होने वाले संशोधन के प्रभाव का इस समय आकलन करना संभव नही है, क्योंकि उपयुक्त ब्यौरा उपलब्ध नहीं है. इसके साथ ही, बैंक ने कहा है कि यदि मानसून सामान्य रहता है और देश भर में इसका वितरण ठीकठाक रहता है, तो इससे खाद्य मुद्रास्फीति में अनुकूल स्तर पर रह सकती है.
आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7.4 फीसदी
रिजर्व बैंक ने निवेश को गति मिलने तथा खपत अधिक रहने की उम्मीद में चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.4 फीसदी पर बरकरार रखा है. पिछले वित्त वर्ष में यह 6.7 फीसदी थी. मौद्रिक नीति समिति की 2018-19 की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद रिवर्ज बैंक ने बुधवार को कहा कि हालांकि पेट्रोलियम उत्पादों के दाम में तीव्र वृद्धि खर्च करने योग्य आय को प्रभावित कर सकती है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि घरेलू आर्थिक गतिविधियों में सतत रूप से सुधार दिखा है और उत्पादन क्षमता और उत्पादन का अंतर लगभग समाप्त हो गया है.
मूडीज ने पहले ही वृद्धि दर अनुमान काे कर दिया था कम
आरबीआई की तरफ से जारी नीति बयान में कहा गया है कि विशेष रूप से निवेश गतिविधियों में पुनरुद्धार हो रहा है और ऋण शोधन तथा दिवाला संहिता के तहत अर्थव्यवस्था के दबाव वाले क्षेत्रों के सुगमता से निपटान से इसमें और तेजी आने की उम्मीद है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि कुल मिलाकर आकलन के आधार पर 2018-19 के लिए जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को 7.4 फीसदी पर बरकरार रखा गया है. अमेरिकी की साख रेटिंग एजेंसी मूडीज ने पिछले सप्ताह देश की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को कम कर 7.3 फीसदी कर दिया. पूर्व में इसके 7.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था. उसका कहना था कि तेल की ऊंची कीमतों तथा कड़ी वित्तीय स्थिति का तेजी पर असर पड़ेगा.
मौद्रिक नीति समीक्षा की मुख्य बातें
- मुख्य नीतिगत दर (रेपो) 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.25 फीसदी की गयी
- साढ़े चार साल में नीतिगत दर पहली बार बढ़ी
- रिवर्स रेपो 6 फीसदी आैर बैंक दर 6.50 फीसदी
- वर्ष 2018-19 के लिए आर्थिक वृद्धि का अनुमान 7.4 फीसदी पर बरकरार
- खुदरा महंगार्इ अप्रैल-सितंबर के लिए 4.8-4.9 फीसदी
- दूसरी छमाही में महंगार्इ दर 4.7 फीसदी रहने का संशोधित अनुमान
- कच्चे तेल के दाम में वृद्धि के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने का खतरा
- कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव से मुद्रास्फीति परिदृश्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ी
- निवेश में सुधार, ऋण शोधन एवं दिवाला संहिता के तहत मामलों के निपटान से निवेश को बल मिला
- भू-राजनीतिक जोखिम, वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव, व्यापार संरक्षणवाद का घरेलू वृद्धि पर प्रभाव पड़ेगा
- केंद्र तथा राज्यों द्वारा बजटीय लक्ष्य पर कायम रहने से मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम कम होगा
- मौद्रिक नीति समिति के सभी सदस्यों ने रेपो दर में 0.25 फीसदी वृद्धि का समर्थन किया
- एमपीसी की अगली बैठक 31 जुलाई और एक अगस्त को
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