नयी दिल्ली: सस्ते मकानों की दिशा में आरबीआइ व सरकार की तरफ सेबुधवार को तीन अलग-अलग बड़ी पहल की गयीं.एकओर रिजर्व बैंक ने ऐसे मकानों के लिए सस्ते कर्ज की सीमा बढ़ा दी है जबकि सरकार ने खस्ताहाल बंदी की कगार पर पहुंचे सार्वजनिक उपक्रमों की जमीन को सस्ते मकान बनाने केलिए देने को प्राथमिकता दिये जाने के दिशानिर्देश जारी किये हैं. एक अन्य घटनाक्रम में राष्ट्रपति ने आज एक अध्यादेश को मंजूरी दी जिसमें बिल्डरों से मकान खरीदने वाले ग्राहकों को भी बैंकों और वित्तीय संस्थानों की तरह वित्तीय कर्जदाता माना जाएगा. ऐसे में बिल्डरों के खिलाफ दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू होने की स्थिति में मकान खरीदारों की बात भी प्रमुखता से सुनी जायेगी.
आरबीआइ ने क्या कहा?
रिजर्व बैंक ने जारी एक वक्तव्य में कहा है कि प्राथमिक क्षेत्र कर्ज पात्रता के तहत महानगरों में आवासकर्ज सीमा को 28 लाख रुपये से बढ़ाकर 35 लाख रुपये कर दिया गया है. अन्य केंद्रों केलिए यहकर्ज सीमा 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये की गयीहै. इसमें कहा गया है कि दस लाख और इससे अधिक आबादी वाले महानगरों में इस तरह के फ्लैट और आवास का कुल मूल्य 45 लाख रुपये और अन्य केंद्रों में 30 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए.
वित्तीय सेवाओं के सचिव राजीव कुमार ने रिजर्व बैंक के वक्तव्य के बाद ट्वीट में कहा, ‘‘ सभी के लिए घर को मिलेगा बड़ा समर्थन. प्राथमिक क्षेत्र के कर्ज में बड़े शहरों के लिए आवासकर्ज सीमा को 35 लाख रुपये करने और अन्य शहरों में 25 लाख रुपये करने से इस तरह के बैंक कर्ज सस्ते हो जायेंगे.’ प्राथमिक क्षेत्र कर्ज (पीएसएल) के तहत दिये जाने वाले कर्ज बैंकों द्वारा सामान्य तौर पर दिये जाने वाले कर्ज के मुकाबले सस्ते होते हैं. रिजर्व बैंक ने कहा है कि इस संबंध में एक सर्कुलर महीने के अंत तक जारी किया जाएगा.
दिवाला एवंऋण शोधन अक्षमता कानून 2018 में संशोधन को मंजूरी
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिवाला एवंऋण शोधन अक्षमता कानून 2018 में संशोधन को मंजूरी देते हुए अध्यादेश जारी कर दिया. अध्यादेश में कानून में संशोधन किया गया है. आवासीय परियोजनाओं में मकान खरीदने वाले ग्राहकों को वित्तीय कर्जदाता की श्रेणी में माना गया है. इस श्रेणी में आने के बाद घर खरीदार भी बिल्डर के खिलाफ दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू होने की स्थिति में ऋणदाताओं की समिति में शामिल होंगे और निर्णय प्रक्रिया में उनका योगदान होगा.
इस संशोधन के बाद घर खरीदार भी दिवाला कानून की धारा सात का इस्तेमाल करते हुए बिल्डरों के खिलाफ दिवाला समाधान प्रक्रिया के लिए आवेदन कर सकेंगे. यह अध्यादेश ऐसें समय जारी किया गया है जब कई घर खरीदार अपना फ्लैट अथवा घर पाने के लिए अदालतों के चक्कर काट रहे हैं और परियोजनाएं अधर में लटकी पड़ी हैं.
कैबिनेट का फैसला
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इससे पहले बुधवार दिन में बीमार और खस्ताहाल सार्वजनिक उपक्रमों को बंद करने की प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से पूरा करने और उनकी जमीन का सस्ती आवासीय परियोजनाओं के लिए इस्तेमाल किये जाने को प्राथमिकता देने के संशोधित दिशा-निर्देशों को मंजूरी दे दी.
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