MRI के नाम पर मोटी रकम वसूलने वालों को लगेगा करारा झटका, जानिये कैसे…?
नयी दिल्ली : मैगनेटिक रेसोनेंस इमेजिंग यानी एमआरआई के नाम पर मरीजों या फिर उनके परिजनों से रुपये ऐंठने वालों को अब करारा झटका लगने वाला है. इसकी वजह यह है कि टाटा ट्रस्ट ने एक ऐसा एमआरआई स्कैनर विकसित किया है, जिससे एमआरआई कराने वाले मरीजों के परिजनों को वर्तमान बाजार भाव से करीब-करीब […]
नयी दिल्ली : मैगनेटिक रेसोनेंस इमेजिंग यानी एमआरआई के नाम पर मरीजों या फिर उनके परिजनों से रुपये ऐंठने वालों को अब करारा झटका लगने वाला है. इसकी वजह यह है कि टाटा ट्रस्ट ने एक ऐसा एमआरआई स्कैनर विकसित किया है, जिससे एमआरआई कराने वाले मरीजों के परिजनों को वर्तमान बाजार भाव से करीब-करीब आधी कीमत अदा करनी पड़ेगी. टाटा ट्रस्ट के फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड सोशल एंटरप्रेन्योरशिप (एफआईएसई) ने एक नया एमआरआई स्कैनर विकसित किया है.
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ट्रस्ट के अनुसार, यह स्कैनिंग की लागत में 50 फीसदी तक की कमी लाने में सक्षम होगा. एफआईएसई ने बताया कि पूरे शरीर का स्कैन करने में सक्षम 1.5 टेस्ला मैगनेटिक रेसोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) स्कैनर को कुल 15 करोड़ रुपये के निवेश से विकसित किया गया है. इसे आठ वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने मिलकर विकसित किया है.
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एफआईएसई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनोज कुमार ने कहा कि आज की तारीख में एक एमआरआई स्कैन की लागत 8,000 से 10,000 रुपये आती है. हमने जो विकसित किया, वह सिर्फ वैज्ञानिक नवोन्मेष पर आधारित है और इससे हम इसकी लागत में 50 फीसदी तक कमी ला सकते हैं. कुमार टाटा ट्रस्ट्स में नवोन्मेष एवं उद्यमिता के प्रमुख भी हैं.
उन्होंने कहा कि कारोबारी नवोन्मेष, योजना और बड़े पैमाने पर इसके उत्पादन से एमआरआई स्कैन की लागत और कम की जा सकती है. टाटा ट्रस्ट ने शुरुआत से इसके लिए वोक्सेलग्रिड को मदद मुहैया करायी. इस उत्पाद के लिए चिकित्सकीय सहयोग श्री सत्य साईं इंस्टीट्यूट ऑफ हायर मेडिकल साइंसेस ने किया है. यहां इसे सबसे पहले स्थापित किया गया था.
कुमार ने कहा कि स्कैनर के विनिर्माण डिजाइन के लिए अगस्त से दिसंबर के बीच इस मशीन पर मानवीय चिकित्सकीय परीक्षण किया जायेगा. हमारी योजना इस उत्पाद को 2019 तक बाजार में उतारने की है. इस पर विनिर्माण के लिए 10 करोड़ रुपये का निवेश और किया जायेगा और इसका निर्माण भारत में किया जायेगा. उन्होंने कहा कि यह स्कैनर मौजूदा समय में उपलब्ध अन्य स्कैनर के मुकाबले तीन से चार गुना तेजी से स्कैन करने में सक्षम होगा.
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