GST के दायरे में आ सकती है Natural Gas, जीएसटी परिषद की अगली बैठक में उठ सकता है मुद्दा

नयी दिल्ली : जीएसटी परिषद अगली बैठक में प्राकृतिक गैस को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के दायरे में लाने पर विचार कर सकती है. एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. जीएसटी परिषद के संयुक्त सचिव धीरज रस्तोगी ने कहा कि जीएसटी के दायरे से बाहर पांच पेट्रोलियम उत्पादों में विमानन टरबाइन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 8, 2018 6:21 PM

नयी दिल्ली : जीएसटी परिषद अगली बैठक में प्राकृतिक गैस को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के दायरे में लाने पर विचार कर सकती है. एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. जीएसटी परिषद के संयुक्त सचिव धीरज रस्तोगी ने कहा कि जीएसटी के दायरे से बाहर पांच पेट्रोलियम उत्पादों में विमानन टरबाइन ईंधन (एटीएफ) एक अन्य पेट्रोलियम उत्पाद होगा, जिसे नयी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के दायरे में लाया जा सकता है.

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उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ने यहां जारी एक वक्तव्य में रस्तोगी के हवाले से कहा कि प्राकृतिक गैस को प्रायोगिक आधार पर जीएसटी के दायरे में लाने के प्रस्ताव को जीएसटी परिषद की अगली बैठक में विचार के लिए पेश किया जा सकता है. हालांकि, उन्होंने प्राकृतिक गैस और एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाने की स्पष्ट समयसीमा के बारे में कुछ नहीं बताया. केरोसीन, नाफ्था और एलपीजी जैसे पेट्रोलियम उत्पाद पहले से ही जीएसटी के दायरे में हैं जबकि पांच उत्पाद कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, विमान ईंधन, डीजल तथा पेट्रोल को फिलहाल जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है.

रस्तोगी ने कहा कि पेट्रोलियम न केवल केंद्र बल्कि राज्य के राजस्व का बड़ा स्रोत है. प्राकृतिक गैस के मामले में इसे जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर थोड़ी सहमति है. इसीलिए यह पहला पेट्रोलियम उत्पाद हो सकता है, जिसे जीएसटी के दायरे में लाया जाए. जीएसटी पर कार्यशाला को संबोधित करते हुए रस्तोगी ने यह भी संकेत दिया कि सरकार का संभवत: जीएसटी के अंतर्गत ‘आपूर्ति’ शब्द की परिभाषा की समीक्षा का भी इरादा है.

कर को लेकर अग्रिम नियम (एडवांस रूलिंग) तय करने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि हाल में कुछ राज्यों में संबंधित पक्षों को इस मामले में विरोधाभासी व्यवस्था दी है. इसीलिए जीएसटी से संबंधित प्रासंगिक मुद्दों के समाधान के लिये केंद्रीकृत एडवांस रूलिंग प्राधिकरण के गठन को लेकर नीतिगत निर्णय हो सकता है.

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