नयी दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 2017-18 में कुल मिला कर 85,370 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ. सबसे ज्यादा घाटा घोटाले की मार झेल रहे पंजाब नेशनल बैंक (करीब 12,283 करोड़ रुपये) को हुआ. घाटे के मामले में आईडीबीआई बैंक दूसरे नंबर पर रहा. बैंकों द्वारा जारी तिमाही आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष के दौरान 21 में से 19 बैंक घाटे में रहे. इंडियन बैंक और विजया बैंक को छोड़कर 19 सरकारी बैंकों का कुल शुद्ध घाटा 87,357 करोड़ रुपये रहा.
इंडियन बैंक और विजया बैंक ने 2017-18 में कुल मिला कर 1986.01 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया. इसमें इंडियन बैंक को 1,258.99 करोड़ रुपये और विजया बैंक को 727.02 करोड़ रुपये का लाभ हुआ. इंडियन बैंक का यह अब तक का सबसे अधिक मुनाफा है. इस प्रकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पिछले वित्त वर्ष में कुल मिला कर 85,370 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ.
2016-17 के दौरान इन 21 बैंकों को कुल 473.72 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था. 14,000 करोड़ रुपये के घोटाले का दंश झेल रहे पंजाब नेशनल बैंक को पिछले वित्त वर्ष में 12,282.82 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में उसने 1,324.8 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था. पीएनबी के बाद सबसे ज्यादा घाटा आईडीबीआई बैंक को हुआ. उसका घाटा 2016-17 के 5,158.14 करोड़ रुपये से बढ़कर 2017-18 में 8,237.93 रुपये हो गया.
देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक का शुद्ध घाटा 2017-18 में 6,547.45 करोड़ रुपये रहा, जबकि 2016-17 में उसे 10,484.1 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था. वहीं, देश का बैंकिंग क्षेत्र एनपीए और घोटाले एवं धोखाधड़़ी से जूझ रहा है. दिसंबर 2017 तक बैंकिंग क्षेत्र का एनपीए 8.31 लाख करोड़ रुपये रह गया.
बढ़ते डूबे कर्ज के कारण बैंकों की वित्तीय स्थिति खस्ताहाल है और इसके चलते 21 सार्वजनिक बैंकों में से 11 को रिजर्व बैंक ने त्वरित सुधार कार्रवाई (पीएसए) प्रणाली के अंतर्गत रखा है. वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने एनपीए के निपटारे के लिए एक राष्ट्रीय परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी के गठन के बारे में सुझाव देने के लिए विशेषज्ञों की समिति का गठन किया गया है। समिति 15 दिनों के भीतर अपने सुझाव देगी.
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