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एससीओ समझौते का असर : भारत की गैर-बासमती चावल मिलों का जल्द ही दौरा कर सकते हैं चीन के अधिकारी

नयी दिल्ली : अभी हाल ही में संपन्न हुए शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मलेन में हुए समझौते का असर दिखायी देना शुरू कर दिया है. चीनी अधिकारियों का एक दल इस महीने के अंत तक देश की कुछ गैर-बासमती चावल मिलों का दौरा कर उनके यहां स्वच्छता मानकों के अनुपालन की जांच कर सकता […]

नयी दिल्ली : अभी हाल ही में संपन्न हुए शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मलेन में हुए समझौते का असर दिखायी देना शुरू कर दिया है. चीनी अधिकारियों का एक दल इस महीने के अंत तक देश की कुछ गैर-बासमती चावल मिलों का दौरा कर उनके यहां स्वच्छता मानकों के अनुपालन की जांच कर सकता है. इस दल की रिपोर्ट के आधार पर चीन इन मिलों का चावल का आयात करने की अनुमति दे सकता है. अभी चीन ने अपने यहां भारत से केवल बासमती चावल के आयात को मंजूरी दी हुई है.

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गौरतलब है कि पिछले हफ्ते शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की अलग से हुई बैठक के बाद चीन ने भारत से गैर-बासमती चावल आयात करने के बारे में एक समझौते पर हस्ताक्षर किये. समझौते के तहत भारत से निर्यात किये जाने वाले चावल को चीन में बाहर से आने वाले पादप उत्पादों के आरोग्या एवं स्वच्छता संबंधी कानून और नियमों के अनुकूल होना चाहिए.

इसके साथ ही, भारत यह तय करेगा कि चीन को निर्यात किये जाने वाले चावल का भंडारण और प्रसंस्करण ट्रोगोडर्मा ग्रेनेरियम और प्रोस्टेफानुस ट्रंकाटस जैसे कीटनाशकों से मुक्त हो. साथ ही, यह भी तय किया जायेगा कि कोई जीवित कीड़ा भी प्रसंस्करण या भंडारण स्थल पर ना हो. अधिकारियों ने बताया कि चीनी अधिकारियों का एक दल हमारी गैर-बासमती चावल मिलों की जांच के लिए भारत का दौरा करेगा. इनमें से पह कुछ मिलों को चुनकर प्रमाणित करेगा, जिनसे चीन को चावल निर्यात किया जायेगा.

अधिकारी ने उम्मीद जतायी कि इस प्रक्रिया के पूरे होने के बाद भारतीय मिलें चीन को निर्यात शुरू कर सकेंगी. निर्यात किया जाने वाला चावल मिट्टी, जंगली घास के बीज, धान की पतवार, चावल की भूसी और चावल के पौधे के किसी भी तरह के कचरे मुक्त होगा. अप्रैल, 2017 से फरवरी, 2018 के बीच देश से गैर-बासमती चावल का निर्यात 3.26 अरब डॉलर रहा, जो 2016-17 में 2.53 अरब डॉलर था. चीन के साथ इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद भारत को एक बड़ा चावल का बाजार मिलने की उम्मीद है.

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