महंगे क्रूड ऑयल और रेपो रेट का आर्थिक वृद्धि पर पड़ सकता है असर, जानिये कैसे…?
मुंबई : अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ने वाली कीमतों और रिजर्व बैंक की ओर से अभी हाल ही में बढ़ायी गयी रेपो रेट का असर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर भी पड़ सकता है. यह अनुमान जापानी रेटिंग एजेंसी नोमुरा की एक रिपोर्ट में लगाया गया है. नोमुरा की रिपोर्ट में […]
मुंबई : अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ने वाली कीमतों और रिजर्व बैंक की ओर से अभी हाल ही में बढ़ायी गयी रेपो रेट का असर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर भी पड़ सकता है. यह अनुमान जापानी रेटिंग एजेंसी नोमुरा की एक रिपोर्ट में लगाया गया है. नोमुरा की रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर अधिक तेज रहेगी, लेकिन दूसरी छमाही में इस पर दबाव रहेगा और यह 7.5 फीसदी पर सीमित रह सकती है.
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जापानी रेटिंग एजेंसी नोमूरा की भारत में मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी तथा कच्चे तेल के दाम चक्रीय और व्यापक बताये जा रहे सुधार के टिकाऊपन को लेकर आशंका पैदा करते हैं. उन्होंने कहा कि पहली छमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 7.5 से 8 फीसदी रहेगी, लेकिन दूसरी छमाही में यह नीचे आयेगी. 2018-19 में जीडीपी की वृद्धि दर कुल मिलाकर 7.5 फीसदी रहेगी.
गौरतलब है कि बीते वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी की वृद्धि दर कम रही थी.
विश्लेषकों ने इसकी वजह वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन और नोटबंदी के प्रभाव को बताया था. बीते वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 6.7 फीसदी रही है. मार्च तिमाही में यह 7.7 फीसदी रही है. वर्मा ने कहा कि हाल के समय में वित्तीय परिस्थितियां सख्त हो रही हैं. उन्होंने आगाह किया कि आगे चलकर इसका निजी निवेश पर प्रभाव पड़ सकता है.
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