शैक्षिक सुधारों का असर दिखने में 10 साल का समय लगेगा
भारत के पास विकसित देश की पंगत में पहुंचने के लिए 10 साल का ही समय
हैदराबाद: इन्फोसिस लिमिटेड के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी मोहन दास पई का मानना है कि देश को अपनी विशला युवा आबादी का फायदा अब नहीं रह गया है क्योंकि करोड़ों की संख्या में युवा ऐसे हैं जिनके पास हुनर की कमी है और वे अर्थव्यवस्था में किसी खास काम के लायक नहीं हैं. पई इस समय मणिपाल ग्लोबल एजुकेशन के चेयरमैनहैं. उनका कहना है कि देश में ऐसे दस करोड़ युवक-युवतियां हैं जो 21-35 वर्ष के बीच के हैं पर उनके पास अर्थव्यवस्था की जरूरत लायक कोई कौशल नहीं है.
उन्होंने कहा कि यहां युवा आबादी के लाभ की स्थिति नहीं कही जा सकती. पई ने पिछलीयूपीए सरकार के दस साल के दौरान शैक्षिक सुधार में कमी को लेकर खेद व्यक्त किया. उन्होंने कहा,यूपीए शासन (2004-2014) की नाकामी की वजह से 2025 तक 10 करोड़ और युवा इस कतार में जुड़ जाएंगे खड़े हो जाएंगे जो शिक्षा तथा कौशलहीन है…. भारत के पास 21-45 आयु वर्ग के कल 20 करोड़ लोग होंगे, जो कि कम पढ़े-लिखे और कम कुशल होंगे.
पई ने कहा कि शैक्षिक सुधारों का प्रभाव दिखने में समय लगता है. अभी किए जाने वाले सुधारों का प्रभाव देखने में 10 वर्ष लगेंगे लेकिन तब तक आज की पीढ़ी का समय खत्म हो चुका होगा. अहम चीज यह है कि यह कैसे सुनिश्चित किया जाए कि युवा पीढ़ी का समय व्यर्थ न हो. पई ने देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआइ की शोध शाखा द्वारा हाल में जारी रिपोर्ट पर यह टिप्पणी की.
रिपोर्ट में यह कहा गया है कि भारत के पास विकसित देश का तमगा हासिल करने के लिए सिर्फ दस वर्ष का समय है अगर वह ऐसा नहीं कर पाता तो आगे उसे हमेशा के लिए विकासशील देशों की कतार में खड़े रहना पड़ेगा. इस बीच, पई ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, शिक्षा पर नियंत्रण को रोकने और उच्च शिक्षा में पारदर्शी नियमों और गुणवत्ता मानकों को लागू करके क्षेत्र को खोलना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत को अच्छे भविष्य के निर्माण पर ध्यान देना चाहिए.
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