नयी दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को सहकारी संघवाद का बेहतरीन उदाहरण करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि नयी व्यवस्था ‘‘ ईमानदारी का उत्सव ‘ है जिसने देश में ‘‘ इंस्पेक्टर राज ‘ खत्म कर दिया है. नयी कर व्यवस्था के एक साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ यदि ‘ एक देश एक कर’ सुधार के लिए मुझे सबसे ज्यादा किसी को श्रेय देना है तो तो मैं राज्यों को श्रेय देता हूं. ‘ उन्होंने कहा, ‘‘ जीएसटी सहकारी संघवाद का एक बेहतरीन उदाहरण है, जहां सभी राज्यों ने मिलकर देशहित में फ़ैसला लिया और तब जाकर देश में इतना बड़ा कर सुधार लागू हो सका.’
अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ अब तक जीएसटी परिषद की 27 बैठकें हुई हैं और हम सब गर्व कर सकते हैं कि भिन्न – भिन्न राजनीतिक विचारधारा के लोग वहां बैठते हैं, भिन्न – भिन्न राज्यों के लोग बैठते हैं, अलग – अलग प्राथमिकता वाले राज्य होते हैं लेकिन उसके बावजूद भी जीएसटी परिषद में अब तक जितने भी निर्णय किए गए हैं, वे सारे के सारे सर्वसम्मति से किए गए हैं.’
मोदी ने कहा, ‘‘ जीएसटी सिर्फ ईमानदारी की जीत नहीं है, बल्कि ईमानदारी का उत्सव भी है. पहले देश में काफ़ी बार कर के मामले में इंस्पेक्टर राज की शिकायतें आती रहती थीं. जीएसटी में इंस्पेक्टर की जगह सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) ने ले ली है.’
उन्होंने कहा, ‘‘ आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि इतना बड़ा सुधार, इतना बड़ा देश, इतनी बड़ी जनसंख्या, इसको पूर्ण रूप से स्थिर होने मेंपांच सेसात साल का समय लगता है, लेकिन देश के ईमानदार लोगों का उत्साह, देश की ईमानदारी का उत्सव जन – शक्ति की भागीदारी का नतीज़ा है कि एक साल के भीतर – भीतर यहनयी कर प्रणाली अपनी बेहतरीन जगह बना चुकी है, स्थिरता प्राप्त कर चुकी है.’
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