RBI ने किया आगाह, चालू वित्त वर्ष में 12.2 फीसदी तक पहुंच जायेगी बैंकों में NPA
मुंबई : रिजर्व बैंक ने बैंकों की सकल एनपीए की स्थिति को लेकर धुंधली तस्वीर पेश की है. केंद्रीय बैंक ने आगाह करते हुए कहा है कि बैंकों की सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) चालू वित्त वर्ष की समाप्ति तक बढ़कर 12.2 फीसदी तक पहुंच जायेगी. इससे पहले मार्च, 2018 की समाप्ति तक यह अनुपात 11.6 […]
मुंबई : रिजर्व बैंक ने बैंकों की सकल एनपीए की स्थिति को लेकर धुंधली तस्वीर पेश की है. केंद्रीय बैंक ने आगाह करते हुए कहा है कि बैंकों की सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) चालू वित्त वर्ष की समाप्ति तक बढ़कर 12.2 फीसदी तक पहुंच जायेगी. इससे पहले मार्च, 2018 की समाप्ति तक यह अनुपात 11.6 फीसदी था. रिजर्व बैंक ने अपनी वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट (एफएसआर) में कहा है कि बैंकिंग क्षेत्र पर सकल गैर-निष्पादित कर्ज का दबाव लगातार बना रहेगा और आने वाले समय में यह अनुपात और बढ़ेगा.
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केंद्रीय बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि वृहद आर्थिक कारकों पर आधारित परीक्षण से संकेत मिलता है कि मौजूदा परिदृष्य के आधारभूत परिवेश में अनूसुचित वाणिज्यक बैंकों की सकल गैर-निष्पादित आस्तियां मार्च, 2018 के 11.6 फीसदी से बढ़कर मार्च, 2019 तक 12.2 फीसदी पर पहुंच जायेगा. सार्वजनिक क्षेत्र के त्वरित सुधारात्मक कारवाई नियमों के दायरे में आये 11 बैंकों के बारे में रिजर्व बैंक ने कहा है कि इन बैंकों का एनपीए अनुपात की स्थिति और बिगड़ सकती है और यह मार्च 2018 के 21 फीसदी से बढ़कर चालू वित्त वर्ष की समाप्ति तक 22.3 प्रतिशत पर पहुंच सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन 11 बैंकों में से छह बैंकों को जरूरी न्यूनतम जोखिम भारित संपत्ति अनुपात (सीआरएआर) के नौ फीसदी के मुकाबले पूंजी की तंगी झेलनी पड़ सकती है. ऊंचे एनपीए के चलते रिजर्व बैंक की त्वरित सुधारात्मक कारवाई (पीसीए) के दायरे में जिन बैंकों को रखा गया है, उनमें आईडीबीआई बैंक, यूको बैंक, सैंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, देना बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन बैंक और इलाहाबाद बैंक शामिल हैं.
रिजर्व बैंक की इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सभी वाणिज्यक बैंकों के मुनाफे में कमी आयी है और आंशिक तौर पर इससे बढ़े प्रावधान का पता चलता है. हालांकि, इसमें कहा गया है कि 2017- 18 में जमा वृद्धि धीमी रहने के बावजूद ऋण वृद्धि में तेजी आयी है.
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