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रुपये की गिरावट पर ”कुछ भी बोलने” से सरकार ने किया किनारा

नयी दिल्ली : डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में भारी गिरावट से निपटने के लिए झटके में कोई प्रतिक्रिया देने से शुक्रवार को सरकार ने इनकार कर दिया. उसने कहा कि वैश्विक स्थितियों पर विचार करने के बाद इस संबंध उचित कदम उठाये जायेंगे. गुरुवार को रुपये में आयी नरमी पर वित्त मंत्री […]

नयी दिल्ली : डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में भारी गिरावट से निपटने के लिए झटके में कोई प्रतिक्रिया देने से शुक्रवार को सरकार ने इनकार कर दिया. उसने कहा कि वैश्विक स्थितियों पर विचार करने के बाद इस संबंध उचित कदम उठाये जायेंगे. गुरुवार को रुपये में आयी नरमी पर वित्त मंत्री ने कहा कि इस मामले में ‘झटके से प्रतिक्रिया’ देने की जरूरत नहीं है.

इसे भी पढ़ें : वित्त मंत्री का स्विस बैंक के खातों में भारतीयों के बढ़े पैसों को कालाधन मानने से इनकार

वैश्विक व्यापार में ट्रेड वार छिड़ने, कच्चे तेल के दाम में उछाल और अमेरिका में ब्याज दर में बढ़ोतरी से विदेशी पूंजी की निकासी के बीच गुरुवार को पहली बार डॉलर के मुकाबले रुपया टूटकर 69.10 तक पहुंच गया था. हालांकि, बाद में यह कुछ सुधरकर 18 पैसे की गिरावट के साथ 68.79 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ. यह डॉलर के मुकाबले रुपये की अब तक की न्यूनतम बंद दर है.

उन्होंने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार एकसाथ बैठकर चर्चा करेंगे. वैश्विक हालातों पर विचार करने के बाद उचित कदम उठायेंगे. आरबीआई विदेशी मुद्रा बाजार और विनिमय दरों का प्रबंधन करता है. गोयल ने यहां संवाददाताओं से कहा कि घरेलू मुद्रा की विनिमय दर को लेकर इस समय झटके से किसी कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है. हमें व्यवस्थित बाजार में और व्यवस्थित तरीके से काम करना होता है.

2013 में जब रुपया डॉलर के मुकाबले गिरकर 68 रुपये पर आ गया था, तब तत्कालीन आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने विदेश में बसे भारतीयों से विदेशी मुद्रा प्रवासी बैंक (एफसीएनआर-बी) जमाओं योजना शुरू की थी, जिसके जरिये तीन वर्ष में 32 अरब डॉलर आये थे. इसके बाद विनिमय दर में स्थिरता आ गयी थी. हमने वो 32 अरब डॉलर वापस कर दिये हैं और यदि आप पिछले पांच वर्ष पर गौर करें, तो रुपये में कोई भी गिरावट नहीं देखी गयी. अगर आप वृहद आर्थिक आंकड़े देंखे, तो वहां कुछ सट्टेबाजी हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार उस समय 304 अरब डॉलर था. 2017-18 के अंत में यह 425 अरब डॉलर हो गया.

गोयल ने कहा कि 2012-13 में चालू खाता घाटा (कैड) जीडीपी का 4.8 फीसदी था, जो पिछले वित्त वर्ष में गिरकर जीडीपी का 1.9 फीसदी रह गया. इसी प्रकार, राजकोषीय घाटा भी 4.5 फीसदी से गिरकर 3.5 फीसदी पर आ गया है. उन्होंने आगे कहा कि आज हमारे वृहद आर्थिक सूचकांक बेहतर हैं, लेकिन आप वैश्विक माहौल को जानते हैं, वहां कच्चे तेल को लेकर कुछ घोषणा की गयीं और अमेरिका में ब्याज दरों में वृद्धि की गयी है. इसलिए पूंजी का प्रवाह उसकी ओर हो रहा है. गोयल ने भविष्य के पेशेवर : 2018 और उससे आगे का विचार ‘ विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं.

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