नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को चेतावनी देते हुए कहा कि स्विस बैंकों में अवैध रूप से धन जमा कराने वाले भारतीयों की पहचान छुपाना अब मुश्किल होगा और ऐसे लोगों पर कालाधन रोधी कानून के तहत सख्त दंडात्मक कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा कि अगले साल जनवरी से वहां भारतीयों के खातों के बारे में तत्काल स्विट्जरलैंड से सूचनाओं का मिलना शुरू हो जायेगा.
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स्विस नेशनल बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2017 में भारतीयों द्वारा जमा कराये जाने वाले धन में 50 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है. इस दौरान भारतीयों का स्विस बैंक में 7,000 करोड़ रुपये जमा था, जबकि इससे पिछले लगातार तीन साल वहां भारतीयों की जमा में गिरावट दर्ज की गयी थी. जेटली ने अपने ब्लॉग में कहा कि आज एक खबर छपी है कि स्विस बैंकों में भारतीयों का धन बढ़ा है. इसकी वजह से कुछ हलकों से गलत जानकारी के आधार पर प्रतिक्रिया आयी और इसने सरकार के कालाधन रोधी कदमों के प्रयासों के परिणाम पर सवाल खड़े किये हैं.
उन्होंने कहा कि स्विट्जरलैंड हमेशा से जानकारियों को साझा करने में अनिच्छुक रहा है. आल्पाइन देशों ने अपने घरेलू कानूनों को संशोधित किया है, जिनमें सूचना सार्वजनिक करने के नियम भी शामिल हैं. इन देशों ने भारत के साथ वास्तविक समय में जानकारियां साझा करने की संधि पर हस्ताक्षर किये हैं और इससे भारत को उसी समय जानकारी मिल जायेगी, जब कोई भारतीय वहां धन जमा करेगा.
जेटली ने कहा कि जनवरी, 2019 से यह जानकारी आने लगेगी. अवैध रूप से धन जमा करने वाले किसी भी जमाकर्ता को यह पहले से पता होगा कि कुछ महीनों में उनका नाम सार्वजनिक होना ही है और उन पर भारत में कालाधन रोधी कानूनों के तहत कड़ी दंडात्मक कार्रवाई होनी है. उन्होंने कहा कि जो लोग इस मामले पर सार्वजनिक बहस कर रहे हैं, उन्हें इन आधारभूत तथ्यों को समझना चाहिए, बजाय कोई कम या गलत जानकारी वाला दृष्टिकोण रखें.
जेटली ने कहा कि कर विभाग द्वारा पहले की गयी जांच में पाया गया कि इनमें उन लोगों का धन भी शामिल है, जो भारतीय मूल के हैं, लेकिन अब किसी दूसरे देश के नागरिक हैं और इसमें गैर-निवासी भारतीयों का धन भी शामिल है.
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