PM मोदी ने कहा- अर्थव्यवस्था को रसातल से बाहर निकाला, भारत अब दुनिया में तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्‍था

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था के प्रबंधन को लेकर अपनी सरकार के तौर तरीकों का पूरी मजबूती के साथ बचाव किया. उन्होंने कहा पिछली सरकार में ‘अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री’ तथा ‘सर्वज्ञाता वित्त मंत्री’ ने अर्थव्यवस्था को जिस रसातल में पहुंचा दिया था उनकी सरकार उसे बाहर निकालकर पटरी पर लायी है. मोदी ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 2, 2018 10:54 PM

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था के प्रबंधन को लेकर अपनी सरकार के तौर तरीकों का पूरी मजबूती के साथ बचाव किया. उन्होंने कहा पिछली सरकार में ‘अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री’ तथा ‘सर्वज्ञाता वित्त मंत्री’ ने अर्थव्यवस्था को जिस रसातल में पहुंचा दिया था उनकी सरकार उसे बाहर निकालकर पटरी पर लायी है. मोदी ने कहा कि भारत अब दुनिया में तीव्र वृद्धि वाली अर्थवव्यवस्था है और इसकी मजबूत बुनियाद इसकी वृद्धि को गति देगी.

अर्थव्यवस्था में रोजगार विहीन वृद्धि की आलोचना को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर एक के बाद एक राज्य में अच्छी संख्या में नौकरियां सृजित हो रही हैं, तब यह कैसे कहा जा सकता है कि केंद्र रोजगार सृजन नहीं कर रहा? उन्होंने कहा कि बैंकों में समस्याओं को 2014 में ही चिन्हित कर लिया गया था और उन्हें कर्ज देने के मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप से छूट दी गयी.

उन्‍होंने कहा कि सरकार दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता लेकर आयी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कर्ज नहीं लौटाने वालों को अपनी कंपनी से हाथ धोना पड़ेगा. स्वराज्य पत्रिका को दिये साक्षात्कार में प्रधानमंत्री ने कहा कि जब भाजपा सरकार सत्ता में आयी, अर्थव्यवस्था की स्थिति उम्मीद के विपरीत काफी खराब थी. ‘हालात विकट थे. यहां तक कि बजट के आंकड़ों को लेकर भी संदेह था.’

मोदी ने कहा कि सरकार में आने के बाद उन्होंने अर्थव्यवस्था की स्थिति पर श्वेत पत्र नहीं लाकर राजनीति के ऊपर राष्ट्रनीति को तवज्जो दी. उन्होंने कहा कि 2014 में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर राजनीति करना अत्यंत आसान और राजनीतिक रूप से लाभप्रद था. पर सरकार की सोच थी कि सुधारों की जरूरत है और हमने ‘इंडिया फर्स्ट’ को तरजीह दी. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमने मुद्दों को टालना नहीं चाहा बल्कि हमारी रूचि समस्याओं के समाधान करने में ज्यादा थी. हमने भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार, उसे सुदृढ़ बनाने तथा रूपांतरण पर जोर दिया.’

उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अविश्वसनीय रूप से रसातल में चली गयी थी और ‘एक अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री’ तथा ‘सर्वज्ञाता वित्त मंत्री’ के अंतर्गत संकट उत्पन्न होने की आशंका थी. भारत दुनिया की पांच नाजुक अर्थव्यवस्था में शामिल था. मोदी ने कहा, ‘हमने इस असंतोषजनक सचाई को स्वीकार किया और चीजों को दुरूस्त करने के लिये पहले दिन से ही काम करना शुरू किया ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो सके…’

उन्होंने कहा, ‘हमने कई राजनीतिक आरोपों को बर्दाश्त किया, हमने राजनीतिक नुकसान को स्वीकार किया लेकिन यह सुनिश्चित किया कि हमारे देश को कोई नुकसान नहीं हो.’ उन्होंने कहा कि भारत अब तीव्र आर्थिक वृद्धि वाली अर्थव्यवस्था है और उसकी बुनियादी मजबूती से वृद्धि को आगे गति मिलेगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेशी निवेश अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. जीएसटी से कर व्यवस्था में व्यापक बदलाव आया और भारत कारोबार करने के लिहाज से एक बेहतर जगह बना जबकि ऐसा पहले कभी नहीं था.

अर्थव्यवस्था में रोजगार की कमी के बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि रोजगार को लेकर आंकड़े के अभाव के कारण यह मुद्दा है. उन्होंने कहा, ‘हमारे प्रतिद्वंद्वी निश्चित रूप से अपनी रूचि के हिसाब से तस्वीर बनाने के लिये अवसर का उपयोग करेंगे. रोजगार के मुद्दे पर आरोप लगाने को लेकर हम अपने प्रतिद्वंद्वियों पर आरोप नहीं लगाते. आखिर किसी के पास रोजगार को लेकर वास्तिवक आंकड़ा नहीं है. रोजगार को आंकने का जो परंपरागत तरीका था, वह इतना बेहतर नहीं था कि जिससे नये भारत की नयी अर्थव्यवस्था में सृजित हो रहे नये रोजगार का पता लगाया जा सके.’

मोदी ने कहा कि गांव स्तरीय तीन लाख साझा सेवा केंद्र, 15,000 स्टार्टअप, 48 लाख नये उद्यमियों का पंजीकरण तथा मकानों, रेलवे तथा राजमार्गों के निर्माण में रोजगार सृजित हुए. उन्होंने कहा कि सितंबर 2017 से अप्रैल 2018 तक संगठित क्षेत्र में 41 लाख रोजगार सृजित हुए. यह ईपीएफओ के ‘पेरोल’ आंकड़े से पता चलता है. उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन को लेकर राजनीतिक बहस निरर्थक है. हमारे पास राज्यों की तरफ से रखे गये आंकड़े हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘उदाहरण के लिये पूर्व कर्नाटक सरकार ने 53 लाख रोजगार सृजित करने का दावा किया. पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा कि उनके पिछले कार्यकाल में 68 लाख रोजगार सृजित हुए. अब अगर राज्य अच्छी संख्या में रोजगार सृजित कर रहे हैं, तो क्या यह संभव है कि देश में रोजगार सृजित नहीं हो रहे? क्या यह संभव है कि राज्यों में तो नौकरी सृजित हो रही है लेकिन केंद्र में रोजगार विहीनता की स्थिति है.’ मोदी ने कहा कि उनकी सरकार कच्चे माल की लागत में कमी लाकर, उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित कर, उत्पादकता बढ़ाकर तथा आय सृजन के अन्य अवसर सृजित कर 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिये काम कर रही है.

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