नयी दिल्ली : आयकर विभाग ने केयर एनर्जी पर पिछली तिथि से प्रभावी कानून संशोधन के तहत 10,247 करोड़ रुपये के बकाये की वसूली के सिलसिल में ब्रिटेन की इस कंपनी के वेदांता में बाकी बचे शेयरों करीब 40 फीसदी हिस्सा बेच दिया है. केयर्न ने एक बयान में कहा कि आयकर विभाग ने पिछले महीने वेदांता में उसकी करीब 2 फीसदी हिस्सेदारी को कम से कम पांच हिस्सों में बेचा. जिसका कुल मूल्य 21.6 करोड़ डॉलर है. आयकर विभाग आगे भी उसके बचे शेयर बेच सकता है.
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विभाग ने यह कार्रवाई ऐसे समय की है, जब कुछ हफ्ते बाद अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत इस मामले में केयर्न की याचिका पर अंतिम सुनवाई शुरू करने वाली है. केयर्न ने पिछली तारीख से लागू किये गये कानून के तहत अपने खिलाफ कर की के विभाग के फैसले को चुनौती दी है. आयकर विभाग ने जनवरी, 2014 में दो वर्षीय पुराने पिछली तरीख से प्रभावी कानून संशोधन का प्रयोग करके वेयर एनर्जी से 10,247 करोड़ रुपये के कर की मांग की थी. विभाग ने इसी संबंध में केयर्न इंडिया में केयर्न एनर्जी के शेष बचे 9.8 फीसदी शेयर जब्त कर लिये थे.
केयर्न इंडिया पहले ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी की अनुषंगी थी. बाद में केयर्न इंडिया को अनिल अग्रवाल के वेदांता समूह ने खरीद कर अपने अंदर मिला लिया. जिस सौदे में वेदांता में केयर्न एनर्जी की हिस्सेदारी करीब 4.95 फीसदी रह गयी. ये शेयर चार वर्ष से आयकर विभाग ने जब्त कर रखे हैं, लेकिन इस वर्ष की शुरुआत में इन्हें कर विभाग को स्थानांतरित किया गया. केयर्न ने कहा कि विभाग ने कंपनी के खिलाफ कर दावे की वसूली शुरू कर दी है, जबकि ब्रिटेन-भारत द्विपक्षीय निवेश संधि के तहत मध्यस्थता जारी है.
केयर्न एनर्जी ने बयान में कहा कि अब तक आयकर विभाग को वेदांता लिमिटेड में उसकी हिस्सेदारी से 15.5 करोड़ डॉलर का लाभांश मिल चुका है और एक अन्य मामले में पूंजीगत लाभकर की अधिक अदायगी के एवज में केयर्न को मिलने वाली 23.4 करोड़ डॉलर की कर रियायत को भी विभाग ने समायोजित कर लिया है. शेयर को करीब 230 रुपये प्रति शेयर के भाव पर बेचा गया है. दोपहर 2 बजे बंबई शेयर बाजार को वेदांता के शेयर 223.50 रुपये पर चल रहा था.
कंपनी ने कहा कि आयकर विभाग ने अधिसूचित किया है कि उसने वेदांता लिमिटेड में केयर्न एनर्जी की आंशिक हिस्सेदारी बेच दी है और इससे प्राप्त 21.6 करोड़ डॉलर की पूंजी जब्त कर ली है. उसने कहा कि इस बिक्री के बाद वेदांता में केयर्न की हिस्सेदारी करीब तीन प्रतिशत रह गयी है. संभवत: आयकर विभाग इसकी आगे भी बिक्री कर सकता है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अप्रैल में एक सवाल के जवाब में कहा है कि ऐसा कोई कानूनी राय नहीं है कि जब्त शेयरों की बिक्री न की जाये.
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