नयी दिल्ली : दूरसंचार मंत्रालय ने सोमवार को कुमार मंगलम बिड़ला के आइडिया सेल्युलर और ब्रिटेन की वोडाफोन की अनुषंगी वोडाफोन इंडिया के विलय की मंजूरी दे दी है. सरकारी सूत्रों ने बताया कि दूरसंचार मंत्रालय ने आइडिया सेल्युलर और वोडाफोन इंडिया की विलय योजना को कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दी. सूत्रों का कहना है कि दूरसंचार विभाग ने वोडाफोन स्पेक्ट्रम के लिए आइडिया सेल्युलर को 3,926 करोड़ रुपये का नकद भुगतान करने और 3,342 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी देने को कहा है.
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इससे पहले सरकार ने पिछले सप्ताह ही यह साफ कर दिया था कि दूरसंचार विभाग द्वारा सभी सांविधिक औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद ही आइडिया-वोडाफोन के विलय सौदे को मंजूरी दी जायेगी. दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने बीते मंगलवार को आईआईटी दिल्ली में एरिक्सन की 5जी परीक्षण लैब के उद्घाटन के मौके पर अलग से बातचीत में कहा था कि दूरसंचार विभाग ने विलय एवं अधिग्रहण के नियम तय किये हैं. विभाग की सभी सांविधिक औपचारिकताएं पूरी होने के बाद एक दिन की देरी के बिना आइडिया-वोडाफोन विलय को मंजूरी दे दी जायेगी.
आइडिया और वोडाफोन दोनों इस विलय सौदे के 30 जून, 2018 तक पूरा होने की उम्मीद कर रही थीं. इससे देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी अस्तित्व में आयेगी. इस सौदे को पहले जून के मध्य तक मंजूरी दी जानी थी, लेकिन दूरसंचार विभाग वोडाफोन से नये सिरे से 4,700 करोड़ रुपये की कर मांग पर विचार कर रहा है.
वर्ष 2015 में वोडाफोन ने अपनी चार अनुषंगियों वोडाफोन ईस्ट, वोडाफोन साउथ, वोडाफोन सेल्युलर और वोडाफोन मोबाइल सर्विसेज का विलय किया था, जिसे अब वोडाफोन इंडिया कहा जाता है. दूरसंचार विभाग ने उस समय वोडाफोन से 6,678 करोड़ रुपये का ओटीएससी का बकाया चुकाने को कहा था, जिसे कंपनी ने अदालत में चुनौती दी थी.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वोडाफोन ने 2,000 करोड़ रुपये जमा किये थे. दूरसंचार विभाग चाहता है कि आइडिया में विलय से पहले वोडाफोन शेष बकाया राशि भी चुकाये. यह मांग 2,100 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी के अतिरिक्त है, जो दूरसंचार विभाग आइडिया से एकबारगी स्पेक्ट्रम शुल्क के रूप में वसूलना चाहता है.
विलय के बाद बनने वाली प्रस्तावित इकाई का नाम वोडाफोन-आइडिया लिमिटेड होगा. इसके लिए आइडिया के शेयरधारकों से मंजूरी ली जायेगी. पहले दिन से इस इकाई के मोबाइल ग्राहकों की संख्या 40 करोड़ होगी. कंपनी के पास बाजार के कुल राजस्व में 41 फीसदी हिस्सेदारी होगी.
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