FSSAI का आदेश : पैकेट बंद खाद्य पदार्थों में नमक, चीनी और फैट्स का कम इस्तेमाल करें कंपनियां

नयी दिल्ली : सुरक्षित और स्वस्थ भोजन को बढ़ावा देने के लिए खाद्य नियामक एफएसएसएआई ने मंगलवार को खाद्य उद्योग से पैकबंद खाद्य उत्पादों में नमक, चीनी और संतृप्त वसा को स्वेच्छा से कम करने को कहा है, क्योंकि लेबलिंग मानदंडों को परिचालित करने में अभी लगभग एक साल लगेंगे. खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2018 11:28 PM

नयी दिल्ली : सुरक्षित और स्वस्थ भोजन को बढ़ावा देने के लिए खाद्य नियामक एफएसएसएआई ने मंगलवार को खाद्य उद्योग से पैकबंद खाद्य उत्पादों में नमक, चीनी और संतृप्त वसा को स्वेच्छा से कम करने को कहा है, क्योंकि लेबलिंग मानदंडों को परिचालित करने में अभी लगभग एक साल लगेंगे. खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकार (एफएसएसएआई) ने मंगलवार को सार्वजनिक स्वास्थ्य और जीवनशैली संबंधी रोगों में सुधार लाने के लिए राष्ट्रीय अभियान ‘ईट राइट मूवमेंट’ (सही खाना खाओ आंदोलन) शुरु किया. नेस्ले इंडिया, एचयूएल और पतंजलि समेत खाद्य तेल उद्योग, बेकरी और एफएमसीजी कंपनियों ने खाद्य उत्पादों में नमक, चीनी और वसा के स्तर को कम करने के लिए प्रतिबद्धता जतायी है.

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इस अभियान की शुरुआत करने और लोकप्रिय बनाने के लिए एफएसएसएआई ने एक लघु वीडियो के लिए फिल्म अभिनेता राजकुमार राव में साथ लिया है, जो आम लोगों को नमक, चीनी और वसा को कम खाने के लिए प्रोत्साहित कोंगे. वीडियो टेलीविजन चैनलों पर प्रसारित किया जायेगा और सोशल मीडिया समेत अन्य मास मीडिया के माध्यम से प्रसारित किया जायेगा.

एफएसएसएआई के सीईओ पवन कुमार अग्रवाल ने इस आंदोलन के शुभारंभ के मौके पर कहा कि हम खाद्य लेबलिंग विनियमन के मसौदे को लेकर आये हैं, जो फिलहाल स्वास्थ्य मंत्रालय के पास है. इस मौके पर नेस्ले इंडिया, पतंजलि और एचयूएल के शीर्ष अधिकारियों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया. उन्होंने कहा कि इसके परिचालन में आने में अभी कम से कम एक वर्ष का समय लगेगा. तब तक खाद्य उद्योग के लिए यह उनके उत्पादों को सुधारने का उपयुक्त समय है.

इस अवसर पर बोलते हुए सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन ने कहा कि जीवनशैली में बदलाव के साथ नमक, चीनी और वसा को कम करने की आवश्यकता है और अधिक पौधे आधारित और प्राकृतिक आहार लेने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि उद्योग जगत की इस आंदोलन का समर्थन करने में एक बड़ी भूमिका है, इसलिए सरकार, नागरिक समाज और उद्योग के बीच तालमेल इसकी सफलता के लिए महत्वपूर्ण है.

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