नयी दिल्ली : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने केजी-डी6 क्षेत्र से रिलायंस इंडस्टरीज द्वारा मंजूर से अधिक दाम वसूलने के लिए खिंचाई की है. इसके अलावा कंपनी ने रॉयल्टी व सरकार की हिस्सेदारी की गणना के लिए मार्केटिंग मार्जिन भी शामिल नहीं किया, जिस पर भी कैग ने आपत्ति जतायी है.
सरकार ने अक्तूबर, 2007 में रिलायंस इंडस्ट्ररीज द्वारा बड़े ग्राहकों के लिए खोजे गए मूल्य के आधार पर 4.20 डालर प्रति इकाई (एमएमबीटीयू) यानी प्रति इकाई बिक्री मूल्य तय किया था.
कैग ने रिलायंस इंडस्टरीज के पूर्वी अपतटीय केजी-डी ब्लाक पर खर्च के बारे में आडिट रिपोर्ट में कहा है कि कंपनी ने उपभोक्ताओं से 4.205 डालर प्रति इकाई का मूल्य वसूला जिससे 96.8 लाख डालर की अतिरिक्त बिलिंग हुई. आपरेटर आरआईएल द्वारा अपनायी गयी मूल्य खोज प्रक्रिया के तहत यह स्पष्ट किया गया था कि बिक्री मूल्य दशमलव के निकटतम दो अंकों तक ही रखा जायेगा.
पर ग्राहकों को गैस की बिक्री संबंधी अभिलेखों को देखने से पता चला है कि कंपनी ने 4.20 डालर प्रति इकाई की जगह 4.205 डालर की दर से कीमत वसूली. इसके अलावा कंपनी ने अपने विपणन जोखिम की भरपायी करने के लिए 0.135 प्रति इकाई का मार्केटिंग मार्जिन लिया.
कैग ने कहा है कि यह तथ्य सामने आया है कि मुनाफे व रॉयल्टी की गणना के लिए आपरेटर ने 4.205 डालर प्रति इकाई के मूल्य को आधार बनाया, जबकि उसनेग्राहकों से 4.34 डालर प्रति इकाई (मार्केटिंग मार्जिन सहित) का मूल्य वसूला. मार्केटिंग मार्जिन के जरिये हासिल राशि को लागत निकासी, मुनाफे व रायल्टी में शामिल नहीं किया गया. रिलायंस के प्रवक्ता ने तत्काल इस पर टिप्पणी नहीं की.कैग की रिपोर्ट के मसौदे में कहा गया है कि रिलायंस इंडस्टरीज ने मार्केटिंग मार्जिन के रुप में 26.13 करोड डालर जुटाए, जिसे खाते में नहीं दिखाया गया.
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