जब्त होगी लोन डिफॉल्टरों की देश-विदेश की सारी नामी-बेनामी प्रॉपर्टी

नयी दिल्ली :भगोड़े आर्थिक अपराधियों को देश की विधि प्रक्रिया से बचने से रोकने, उनकी प्रॉपर्टी जब्त करने और उन्हें दंडित करने के प्रावधानवाले भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018 को गुरुवार को लोकसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया. यह बिल भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्यादेश की जगह लेगा. विधेयक पेश करने के बाद वित्त मंत्री […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 20, 2018 7:39 AM

नयी दिल्ली :भगोड़े आर्थिक अपराधियों को देश की विधि प्रक्रिया से बचने से रोकने, उनकी प्रॉपर्टी जब्त करने और उन्हें दंडित करने के प्रावधानवाले भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018 को गुरुवार को लोकसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया. यह बिल भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्यादेश की जगह लेगा.

विधेयक पेश करने के बाद वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह एक सुलझा हुआ विधेयक है. इसे सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर लाया गया है. बजट सत्र को विपक्षी दलों ने चलने नहीं दिया जिससे से उस समय यह बिल नहीं लाया जा सका. अध्यादेश लाने का मकसद संदेश देना था कि सरकार सख्त है. कालेधन पर प्रहार हो रहा है.

गोयल ने कुछ सांसदों की चिंता को खारिज किया कि कानून के प्रावधानों से निर्दोष लोग भी कार्रवाई की जद में आ सकते हैं. गोयल ने कहा कि यह कानून भगोड़ों के लिए है. अगर कोई व्यक्ति निर्दोष है, तो उसे भागने की क्या जरूरत है. उसे तो खुद को कानून के हवाले करना चाहिए. गौरतलब है कि विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और ललित मोदी जैसे कारोबारियों ने बैंकों से हजारों करोड़ रुपये का लोन लेने के बाद देश से फरार हो जाने के बाद यह बिल लाया है. इस कानून के बाद से ही लोन डिफॉल्टरों पर शिकंजा कसेगा.

क्यों लाया गया कानून

अपराधी दंडात्मक कार्यवाही की संभावना में या ऐसी कार्यवाहियों के लंबित रहने के दौरान अदालतों के अधिकार क्षेत्र से पलायन कर जाते हैं. अदालतों से ऐसे अपराधियों की अनुपस्थिति से कई मामले लटके हैं. पुलिस छानबीन जांच में बाधा आती है. कोर्ट का कीमती समय व्यर्थ होता है. आर्थिक अपराधों के ऐसे अधिकांश मामलों में बैंक कर्ज से बैंकों की वित्तीय स्थिति खराब होती है. वर्तमान सिविल एवं न्यायिक उपबंध इससे गंभीरता से निबटने में पूरी तरह से पर्याप्त नहीं है. इसके लिए यह कानून लाया गया.

भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून की जद में ये आयेंगे

भगोड़ा आर्थिक अपराधी ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपराध किया है. इनमें 100 करोड़ या उससे अधिक की रकम सम्मिलित है. वे भारत से फरार हैं. भारत में दंडात्मक अभियोजन से बचने या उसका सामना करने के लिए भारत आने से इंकार करते हैं. इसमें भगोड़ा आर्थिक अपराधी की प्रॉपर्टी कुर्की की जायेगी. किसी भी भगोड़े आर्थिक अपराधी को कोई सिविल दावा करने या बचाव करने की हकदार नहीं होंगे. ऐसे मामलों में विशेष कोर्ट द्वारा जारी आदेशों के विरुद्ध हाइकोर्ट में अपील की बात कही गयी है.

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