नयी दिल्ली : बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं जीएसटी पर उच्च स्तरीय मंत्री समूह के संयोजक सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि आने वाले समय में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों की वर्तमान पांच श्रेणियों को घटाकर तीन श्रेणियों में किया जा सकता है जिससे उभोक्ताओं एवं कारोबारियों दोनों को सहूलियत होगी सुशील मोदी ने कहा, ‘इसमें थोड़ा समय लगेगा क्योंकि यह विषय राज्यों के राजस्व से जुड़ा है.’
उनसे पूछा गया कि जीएसटी परिषद की बैठक में कल 88 वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी घटाये जाने पर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि यह 2017 में ही क्यों नहीं किया गया. इस पर बिहार के वित्त मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘यह कोई ऐसा निर्णय नहीं है जिसमें सिर्फ भाजपा सरकार शामिल है. यह निर्णय जीएसटी परिषद ने लिया है जिसमें कांग्रेस की सरकारें भी शामिल हैं.’
उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद प्रारंभ में यह देखा गया कि राजस्व का नुकसान नहीं हो और जैसे-जैसे राजस्व में स्थिरता आयी है, वैसे-वैसे अनेक वस्तुओं पर दरें कम की गयी हैं. सुशील मोदी ने कहा कि अभी जीएसटी से राजस्व औसतन 95 हजार करोड़ रूपये के आसपास है, ऐसे में हम दरों में कटौती कर रहे हैं जिससे अनेक उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में कमी आ रही है और इससे मध्यम वर्ग को लाभ होगा.
उन्होंने कहा कि अभी जीएसटी दरों के पांच श्रेणियां (स्लैब) हैं. ‘आने वाले समय में इसे घटाकर तीन श्रेणियों (स्लैब) में रखने का इरादा हैं लेकिन इसमें कुछ समय लगेगा.’ चिदंबरम पर निशाना साधते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस नीत संप्रग सरकार में राज्यों का भरोसा खत्म हो गया था जिसके चलते उस समय जीएसटी लागू नहीं हो सका.
उस समय जीएसटी लागू न होने के लिए संप्रग सरकार में वित्त मंत्री रहे चिदंबरम को जिम्मेदार ठहराते हुए सुशील मोदी ने कहा कि चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते हुए राज्यों को सीएसटी क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान नहीं हुआ, जिसके चलते राज्यों में तत्कालीन संप्रग सरकार के आश्वासनों को लेकर अविश्वास पैदा हो गया.
सुशील मोदी के इस बयान को इसलिये महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि वह 2012-13 में जीएसटी के क्रियान्वयन पर विचार कर रही राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष थे. उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने से केंद्रीय बिक्री कर यानी सीएसटी चरणबद्ध तरीके से तीन साल में खत्म किया जाना था.
तत्कालीन यूपीए सरकार ने आश्वासन दिया था कि इसके चलते राज्यों को राजस्व हानि होगी उसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी. सीएसटी की दर एक अप्रैल 2007 को 4 प्रतिशत से घटाकर 3 प्रतिशत और 2008 में 3 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत कर दी गयी. शुरुआती वर्षो में राज्यों को क्षतिपूर्ति की कुछ राशि भी दी गयी लेकिन 2011-12 में क्षतिपूर्ति का भुगतान रोक दिया गया.
भाजपा नेता ने कहा कि राज्यों को क्षतिपूर्ति की राशि का पूरा भुगतान नहीं किया गया. सुशील मोदी ने कहा कि चिदंबरम अब भाजपा पर आरोप लगा रहे हैं जबकि हकीकत यह है कि संप्रग ने राज्यों को बकाया क्षतिपूर्ति का भुगतान नहीं किया जिसके चलते तत्कालीन सरकार पर उन्हें भरोसा नहीं रहा.
उन्होंने कहा कि 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद न सिर्फ राज्यों को सीएसटी क्षतिपूर्ति का भुगतान हुआ बल्कि जीएसटी लागू करने पर होने वाली किसी भी राजस्व हानि की भरपाई पांच साल तक करने तथा हर साल इसमें 14 प्रतिशत वृद्धि सुनिश्चित करने का संवैधानिक प्रावधान किया गया.
उन्होंने आरोप लगाया कि संप्रग सरकार के दौरान जीएसटी पर जो संविधान संशोधन विधेयक तैयार किया गया था, उसमें पेट्रोलियम पदार्थ का उल्लेख नहीं था, ऐसे में अगर राज्यों के बीच इसे जीएसटी के दायरे में लेने पर सहमति बनने पर फिर से संशोधन की पहल करनी होती. बिहार के वित्त मंत्री ने कहा कि राजग सरकार के दौरान जीएसटी पर जो संविधान संशोधन किया गया है, उसमें पेट्रोलियम पदार्थों को रखा गया है. सिर्फ इसे कब से लागू किया जायेगा, इस बारे में जीएसटी परिषद को तय करना है। जब राज्यों में सहमति हो जायेगी तब सिर्फ निर्णय के आधार पर इसे लागू कर दिया जायेगा और संविधान संशोधन करने की जरूरत नहीं होगी.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.