Sterlite Copper बंद होने से इकोनॉमी को 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान
नयी दिल्ली : वेदांता समूह की तांबा बनाने वाली कंपनी स्टरलाइट कापर की तमिलनाडु के बंद होने से देश में तांबे का आयात करीब दो अरब डॉलर बढ़ गया है. साथ ही, डेढ़ अरब डॉलर के निर्यात का नुकसान भी हुआ है. कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि कुल मिलाकर इस इकाई के […]
नयी दिल्ली : वेदांता समूह की तांबा बनाने वाली कंपनी स्टरलाइट कापर की तमिलनाडु के बंद होने से देश में तांबे का आयात करीब दो अरब डॉलर बढ़ गया है. साथ ही, डेढ़ अरब डॉलर के निर्यात का नुकसान भी हुआ है. कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि कुल मिलाकर इस इकाई के बंद होने से अर्थव्यवस्था को करीब 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है.
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कंपनी का यह बयान ऐसे समय आया है, जब राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने वेदांता को कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है. कंपनी ने तमिलनाडु सरकार के इस इकाई को स्थायी रूप से बंद करने के आदेश को चुनौती दी थी. राज्य सरकार ने प्रदूषण चिंताओं की वजह से हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद मई में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस संयंत्र को सील करने और स्थायी रूप से बंद करने का निर्देश दिया था.
स्टरलाइट कॉपर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पी रामनाथ ने कहा कि स्टरलाइट कॉपर इकाई बंद होने से तांबे का आयात करीब दो अरब डॉलर बढ़ा है, जबकि इससे डेढ़ अरब डॉलर के निर्यात नुकसान हो चुका है. कुल मिलाकर इस इकाई के बंद होने से अर्थव्यवस्था को 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
उन्होंने बताया कि इस इकाई के बंद होने से पहले कंपनी घरेलू बाजार में ढाई लाख टन सालाना तांबे की आपूर्ति कर रही थी. उन्होंने कहा कि अब उसके ज्यादातर ग्राहकों को आयात के जरिये अपनी जरूरत को पूरा करना पड़ रहा है. रामनाथ ने कहा कि बंदी से पहले कंपनी सालाना 1,50,000 से 1,60,000 टन तांबे का निर्यात कर रही थी.
उन्होंने कहा कि इस इकाई के बंद होने से सल्फरिक एसिड और फॉस्फोरिक एसिड की कीमतों में जोरदार इजाफा हुआ है. सल्फरिक एसिड का दाम इस दौरान बढ़ कर 4,000 रुपये प्रति टन से 15,000 रुपये प्रति टन हो गया है. इसी तरह फॉस्फोरिक एसिड कीमतों में 20 से 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
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