नयी दिल्ली : भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने 4जी नेटवर्क पर कॉल की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए मंगलवार को नये मानक जारी किये, ताकि ग्राहकों के सामने बात करते हुए आवाज कटने जैसी दिक्कतों की जांच की जा सके. दूरसंचार नियामक ट्राई ने डेटा पैकेट के आधार पर 4जी नेटवर्क पर कॉल की गुणवत्ता परखने का फैसला किया है. यह मानक 2जी और 3जी नेटवर्क पर कॉल ड्रॉप के आकलन के लिए इस्तेमाल होने वाले मानकों से अलग है.
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नियामक ने दूरसंचार ऑपरेटरों को यह सुनिश्चित करना अनिवार्य किया है कि कॉल के अपलिंक और डाउनलिंक के दौरान प्रेषित कुल डेटा पैकेट के 2 फीसदी या उससे अधिक की हानि नहीं होनी चाहिए, ताकि कॉल की गुणवत्ता बेहतर रहे. उपग्रह से जमीन पर आने वाले संवाद को डाउनलिंक कहा जाता है और जब संवाद जमीन से उपग्रह की ओर जाता है, तो उसे अपलिंक कहा जाता है. नये मानक एक अक्टूबर से लागू होंगे. डेटा का उपयोग करके 4जी नेटवर्क पर वॉयस कॉल किया जाता हैं, क्योंकि संपूर्ण नेटवर्क इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) तकनीक का उपयोग करके बनाया गया है.
गौरतलब है कि 2जी और 3जी नेटवर्क में ग्राहकों की कॉल अपने आप कट जाती है, जिसे कॉल ड्रॉप कहा जाता है. हालांकि, 4जी नेटवर्क के आने के बाद से ग्राहकों को दूसरी ओर से आवाज नहीं सुनाई देने की समस्या आ रही है. डेटा की हानि होने के कारण इस तरह की दिक्कतें आ रही हैं.
इसके अलावा, ट्राई ने दूरसंचार ऑपरेटरों को 4जी नेटवर्क पर कॉल पहुंचने में देरी के कारण का पता लगाने के लिए हर तिमाही फील्ड परीक्षण करने का भी निर्देश दिया है. 4जी तकनीक के तहत जब भी कोई व्यक्ति फोन पर बात करता है, तो उसकी आवाज डेटा के रूप में परिवर्तित हो जाती है और लक्षित स्थान या फिर दूसरी ओर मौजूद शख्स के फोन पर पहुंचती है.
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