नयी दिल्ली : शेयर बाजार की मई में बेचो व निकल जाओ की पुरानी कहावत इस साल टूट गई. मई माह में बंबई शेयर बाजार के सेंसेक्स में 1800 अंक की जोरदार तेजी दर्ज की गई, जो हाल के समय में सबसे बेहतरीन मासिक बढ़त है.
भाजपा की अगुवायी वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सत्ता में आने व नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बीच पिछले महीने भारतीय शेयर बाजारों में जोरदार तेजी दिखाई दी. अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद से बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 25,000 अंक के स्तर को पार कर गया. बीते महीने सेंसेक्स 1,799.54 अंक या 8 प्रतिशत की बढ़त के साथ 24,217.34 अंक पर पहुंच गया.
हालांकि, मई, 2012 और उससे पिछले दो साल में मई में सेंसेक्स में गिरावट आई थी. मई, 2013 में सेंसेक्स 24.53 अंक चढ़ा था. मई, 2012 में इसमें 6 प्रतिशत की गिरावट आई थी। 2010 और 2011 में मई में सेंसेक्स में ढाई फीसद की गिरावट आई थी. 16 मई को सेंसेक्स कारोबार के दौरान 25,375.63 अंक के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया था. उसी दिन आए चुनावी नतीजों में भाजपा को स्पष्ट जनादेश मिला था.
आशिका स्टाक ब्रोकर्स के अनुसंधान प्रमुख पारस बोथरा ने कहा, भाजपा के पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आने से बाजार में उत्साह है. मोदी सरकार को लेकर चल रहे जोश से बाजार को मई का मिथक तोडने में मदद मिली. विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) के भारी प्रवाह से भी बाजार में तेजी आई. एफआइआइ ने मई में भारतीय बाजार में 34,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है. पिछले सालों में मई का महीना आमतौर पर शेयर बाजारों के लिए खराब रहा. 2009 तक इस महीने में भारतीय बाजार कभी लाभ कभी हानि के बीच झूलते रहे.
मई में बेचो और निकल जाओ रणनीति के अंतर्गत निवेशक आमतौर पर मई में शेयर बेच देते हैं और नवंबर में वापस लौट आते हैं. इस तरह वे मई से अक्तूबर के दौरान बाजार से बाहर रहते हैं, जिसे आमतौर पर उतार-चढ़ाव वाला समय माना जाता है. ऐसे निवेशक को उन निवेशकों से बेहतर लाभ मिलता है, जो पूरे साल भर शेयर बाजार में बने रहते हैं.
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